इस गांव के लोग नहीं बेचते दूध, वजह जान आप भी कहेंगे OMG

रविरमन त्रिपाठी

भिंड. मध्य प्रदेश के भिंड जिले के अटेर विधानसभा क्षेत्र के एक गांव से अजीबो गरीब मामला सामने निकल कर आया है. कमई गांव के लोगों ने दावा किया है कि पूरे गांव में दूध नहीं बेचा जाता है. जब इस मामले की पड़ताल करने न्यूज 18 की टीम पहुंची तो स्थानीय लोगों ने बताया कि हमारे गांव में कई पीढ़ियाों से कोई भी ग्रामीण दूध नहीं बेचता है. आज के वक्त में लोग पशुपालन करते हैं और उनसे मिलने वाले दूध को वह महंगे दामों में बेचकर अपने परिवार का भरण पोषण करते हैं, लेकिन यहां के लोगों ने जो आपबीती सुनाया वो हैरान करने वाला था.

गांव के लोगों ने बताया कि हमारे पूर्वजों के द्वारा बताया गया है कि जब कोई भी पशु गांव में लाया जाता है और वह दूध देता है तो सबसे पहले उस पशु के दूध को श्री हरसुख बाब के थान पर पहुंच कर दूध से बने व्यंजन का भोग लगाया जाता है. लोगों ने बताया कि हमारे गांव में हरसुख बाबा का सिद्ध स्थान है जहां से ग्रामीणों की अपार अस्था जुड़ी हुई हैं.

ग्रामीणों की अनोखी मान्यता

गांव के लोगों का कहना है कि हम अपने पूर्वजों के बताएं रास्ते पर आज भी चल रहे हैं. गांव में दूध नहीं बेचते हैं. अगर गांव का कोई व्यक्ती अर्थिक रूप से कमजोर होता है तो वह दुध की जगह घी, पनीर, मावा आदि बेचकर पशुधन कमाते हैं.

 शुद्ध घी से बनाया जाता है भंडारा
कमई में रहने वाले सोनू यादव ने बताया कि हमारे गांव में हरसुख बाबा के सिद्ध स्थान पर गांव के लोगों की ही नहीं बल्कि आसपास के क्षेत्र के लोगों की भी आस्था जुड़ी हुई है. गांव में हर साल विशाल भंडारे का भी आयोजन किया जाता है, जिसमें हजारों लोग प्रसादी ग्रहण करते हैं. इस भंडारे की खास बात यह है कि सब्जी, पूडी,खीर,मालपुआ सभी यहां शुद्ध घी से ही बनाए जाते हैं. तेल और रिफाइंड ऑइल का बिल्कुल भी इस्तेमाल नहीं किया जाता है.

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गांव के बुजुर्ग रामप्रकाश राठौर ने बताया कि हमारे गांव में हर पशुपालक दूध न बेचते हुए दूध से घी, क्रीम, पनीर, मावा तैयार करके उसका सेवन कर उसे ही बेचते हैं. कमई निवासी प्रशांत यादव ने बताया कि गांव में ऐसे कई उदाहरण सामने आए हैं जिन्होंने चोरी छिपे दूध बेचा तो उनकी भैंस या तो दूध देना ही बंद कर देती है या फिर वह बीमार पड़ जाती है. यह गांव जिला मुख्यालय से करीब 15 किलोमीटर दूर स्थित है. इस गांव में लगभग 200 घर हैं और आबादी 1100 के करीब बताई गई है.

ग्रामीणों ने बताया कि हमारे गांव में दूध नहीं बेचने की मान्यता है जिस कारण लोग दूध पीते हैं और बचे हुए दूध से घी बनाकर शुद्ध घी का सेवन करते हैं. इस कारण हर घर में शुद्ध घी रहता है. आवश्यकता से ज्यादा हो जाने पर उसे बेच भी देते हैं. लोग दूध दराज से इस गांव में शुद्ध घी खरीदने के लिए भी आते हैं. गांव में जब हरसुख बाबा के स्थान पर भंडारा होता है तो गांव के अधिकांश लोग अपने-अपने घरों से शुद्ध घी ,दूध ,मट्ठा, दही भंडारे में देकर अपना सहयोग प्रदान करते हैं. इस गांव में ज्यादातर यादव समाज के लोग निवास करते हैं और वह कहते हैं कि हम कृष्ण के वंशज हैं, इसलिए हम शुद्ध दूध, घी, पनीर ,मावा का सेवन करके अपने शरीर को स्वस्थ रखते हैं.

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