भास्कर ठाकुर/सीतामढ़ी. बिहार के सीतामढ़ी जिला अंतर्गत परिहार के रहने वाले एक युवा किसान अपने खेतों में फसलों की जगह बांस की खेती कर रहा है, एक बार इस खेती को करने के बाद 25 से 30 साल तक इससे कमाई की जा सकती है. इस खेती में जितनी लागत लगती है उससे दोगुना कमाई हो जाती है. इसकी प्लांटिंग करने के भी नियम हैं, जिसे अपनाने पर बेहतर खेती की जा सकती है. वहीं, वर्तमान में बांस की डिमांड भी बढ़ रही है तो यही वजह है कि यह युवा अन्य किसी फसल की खेती ना कर बांस की खेती कर रहा है. बांस की खेती करने वाले युवा डब्लू यादव ने बताया कि यहां मुख्य रुप से हरऊती और चाभ बांस की खेती होती है. इसलिए इसी दो प्रजाति की खेती तीन एकड़ में कर रहे हैं. इससे प्रति साल 8 से 10 लाख की कमाई हो जाती है.
डब्लू यादव ने बताया कि नौकरी करने असम गए थे. वहां देखा कि बड़े पैमाने पर असम के किसान बांस की खेती कर रहे हैं. यहां दूसरे राज्यों से व्यापारी आकर ट्रक और पिकअप से बांस ले जा रहे थे. डब्लू ने बताया कि जब व्यापारी से पूछा तो उन्होंने बताया कि बिहार से भी बांस खरीद कर लाते हैं. चुंकि एक एकड़ में पहले से हीं बांस की खेती हो रही थी तो इसलिए व्यापारी से उनका नंबर ले लिया. डब्लू ने बताया कि असम में नौकरी करने के बजाय 2018 में हीं घर वापस आ गया और बांस की खेती को विस्तार दिया. अब तीन एकड़ में बस की खेती कर इसका व्यापार भी कर रहे हैं.
सलाना 8 से 10 लाख की हो जाती है कमाई
उन्होंने बताया कि साल में दो बार बांस तैयार होता है. एक सीजन यानी प्रत्येक 6 महीने पर 5 से 6 ट्रक बांस की सप्लाई कर लेते हैं. जो व्यापारी बांस को खरीदकर ले जाते हैं, वे खुद मजदूर को लाकर बांस कटवाते हैं. डब्लू ने बताया कि उसका काम सिर्फ क्लाइंट से बात करना है. उन्होंने बताया कि बांस का बड़े स्तर पर उपयोग होता है. खासकर कंस्ट्रक्शन वर्क, फर्नीचर, और टेन्ट हाउस, घर बनाने सहित अन्य कार्यों में इसका उपयोग होता है. वहीं, छठ पूजा के दौरान बांस की मांग अधिक रहती है. इसका सूप और डाला बनाने में उपयोग होता है. एक सीजन में 4 से 5 लाख तक की बांस की बिक्री हो जाती है. वहीं, सालाना 8 से 10 लाख की कमाई हो जाती है.
.
Tags: Agriculture, Bihar News, Local18, Success Story
FIRST PUBLISHED : October 17, 2023, 20:18 IST