इस खास तकनीक से मात्र 15 दिनों में तैयार हो जाता है पशुओं का चारा

नीरज कुमार/बेगूसराय. इन दिनों खेती के लिए जमीन कम होती जा रही है. कृषि योग्य भूमि की कमी के कारण पशुओं के लिए चारा उपजाना तक भी मुश्किल होते जा रहा है. लेकिन, अब खासतौर से शहरी पशुपालकों को पशु चारा के लिए परेशान होने की जरूरत नहीं है. अब पशुपालक छोटी सी जमीन में ही सालों भर अपनेपशुओं के लिए चारा का प्रबंध कर लेंगे.

बस उन्हें, एक नई तकनीक का इस्तेमाल करना होगा. इसका नाम है हाइड्रोपोनिक्स तकनीक. इस विधि से बिना जमीन के भी मामूली खर्च और कम समय में हरा चारा तैयार हो जाया करेगा.इस तकनीक से मुख्य रूप से एक हद तक इस समस्या का समाधान हो जाएगा. बड़ी बात यह है कि इस तकनीक से उगाए गए चार खाने से पशु दूध भी ज्यादा देती है.

एक ट्रे में तैयार होता है 6 केजी चारा
जिले के खोदाबंदपुर स्थित कृषि विज्ञान केंद्र के पशु चारा विशेषज्ञ सह वरीय वैज्ञानिक डॉ. विपिन कुमार बताते हैं कि हाइड्रोपोनिक्स तकनीक से हरा चारा उगाने के लिए सबसे पहले ग्रीनहाउस तैयार करना होता है. इस संरचना में उगाए जाने वाले हरा चारा को हाइड्रोपोनिक चारा या अंकुरित हरा चारा कहा जाता है.

इस विधि में मक्का या गेंहू के बीज को 24 घंटों तक पानी में भिगोने के बाद हाइड्रोपोनिक ट्रे में डाल दिया जाता है. इसमेंपानी का छिड़काव कर चारा उगाया जाता है. वे बताते हैं कि अगर किसानों की इच्छा हो तो इसमें खाद का भी छिड़काव कर सकते हैं.बिना खेत के 90 दिनों में उगने वाला हरा चारा मात्र 15 दिनों में तैयार हो जाएगा. एक ट्रे में 5 से 6 किलो चार तैयार हो जाता है.

पानी में चारा उगाने की यह है प्रक्रिया
डॉ. विपिन कुमार के मुताबिक हाइड्रोपोनिक विधि से चारा उगाने के लिएबिना कटे और साफ-सुथरे बीज का इस्तेमाल करना होता है. धूप में सुखाने के बाद बीज को पानी में डालकर हाथ से रगड़कर साफ कर लें. इसके बाद बीज को पानी में डालकर 24 घंटे तक छोड़ दें. फिर तैरने वाले बीजों को छांटकर अलग कर लें. इसके बाद जूट के बोरे में भरकर अंकुरण के लिए रख दें. जहां बोरा रखा गया है, वह जगह गर्म हो और वहां सफाई हो.बीज अंकुरित होने के बाद उन्हें ट्रे में रख दें. इसके बाद ट्रे को ग्रीन हाउस संरचना में रख दें. मात्र 12 से 15 दिन में पशुओं के लिए बेहतरीन हरा चारा उपलब्ध हो जाएगा.

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