इस कुुंड में पड़ी थी सूरज की पहली किरण, यहां मृत्यु के बाद मिट्टी डालने पर मिलती है मुक्ति

धीरेंद्र/चित्रकूटः चित्रकूट एक पवित्र स्थल है जो कि भगवान राम की तपोभूमि मानी जाती है. इस स्थल पर अनादि काल से ही महान ऋषियों और मुनियों ने तपस्या की है. चित्रकूट में सूरजकुंड नामक एक जलकुंड है जो कि घनी वादियों के बीच में स्थित है. इस कुंड के पास भगवान राम ने अपने दर्शन करने के लिए अपने रथ को लाकर उतरा था, जिस स्थान पर रथ रुका था, वहां आज भी लगभग 64 वर्षों से अखंड राम नाम कीर्तन जारी है. यह स्थान चित्रकूट में महत्वपूर्ण माना जाता है और यहां आने वाले लोगों को भगवान प्रभु राम का आशीर्वाद प्राप्त होता है.

चित्रकूट के मंहत मोहित दास महराज ने बताया कि सूरजकुंड में किसी की मृत्यु के बाद मिट्टी डालने के बाद हर व्यक्ति को मुक्ति मिलती है. हर वर्ष, सूरजकुंड के पास से कई राज्यों से लोग अपने परिवारों की मिट्टी लेकर आते हैं और उसे कुंड में डालते हैं. इसे काफी महत्वपूर्ण माना जाता है. सूरजकुंड के आसपास और पहाड़ों के बीच में साधु-संत निवास करते हैं, जिससे यह स्थान और भी महत्वपूर्ण बन जाता है. इसलिए लोग इस स्थान को शुद्ध मानते हैं. मान्यता है कि सूर्य की पहली किरण चित्रकूट में इसी स्थान पर पड़ती है, जिसके कारण सूरजकुंड को एक खास पहचान मिलती है.

चित्रकूट में त्रेता युग की यादें भी बरकरार हैं. इसी स्थान पर सूर्य की पहली किरण से ही सतयुग शुरू होता है और यही कारण है कि ऋषि-मुनि संत इसे प्राणाम करते हैं.

चित्रकूट के मंहत मोहित दास जी ने बताया कि चित्रकूट के पावन धरती पर सूर्य की पहली किरण सतयुग से ही पड़ रही है और यही वजह है कि यहां के ऋषि-मुनि संत सूर्य देवता का पूजन करते हैं. इस बात से चित्रकूट में यह मान्यता फैली हुई है कि सूरयकुंड की जलप्राप्ति से लाखों की तादाद में श्रद्धालु आते हैं. सूरजकुंड में स्नान करने से पहले साधु-संत सबसे पहले अपने आप को सौभाग्यशाली मानते हैं.

इस रूप में, चित्रकूट का सूरजकुंड भगवान राम के अनुयायियों के लिए एक पवित्र स्थल है जो कि महत्वपूर्ण माना जाता है और जहां श्रद्धालु लोग भगवान प्रभु राम के आशीर्वाद को प्राप्त करते हैं.

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