इस कार्यालय में माथापच्ची से लेकर…गुटर-गूं और ता-था-थैय्या हैं कमरों के नाम

बिहार बाल भवन की प्रोग्राम ऑफिसर अनिता ने बताया कि किलकारी के सभी कमरों का नामकरण बच्चों के सुझाव पर ही किया गया है. प्रत्येक हॉल/कमरों का नाम बच्चों के हिसाब से ही रखा गया है, जिसे जो भी देखता है वो एक बार बिना मुस्कुराए नहीं रह पाता. (रिपोर्ट- उधव कृष्ण/पटना) 

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1.पटना स्थित किलकारी के ऑफिस के सामने कुछ इस तरह का बोर्ड लगा है. इसे देखकर आप सोच रहे होंगे कि इसका नाम आखिर ऐसा क्यों है. असल में बच्चों ने ही इसका नाम कार्यालय माथापच्ची रखा है.

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2. किलकारी के इस हॉल का नामकरण बच्चों ने ‘ऑडिटोरियम बाइस्कोप’ के रूप में किया है. इसमें बच्चों को फिल्मों से संबंधित गतिविधियों में हिस्सा लेने का मौका मिलता है.

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3. लाइब्रेरी यानी पुस्तकालय का नाम ‘पुस्तकालय मस्ती की पाठशाला’ रखा गया है. ये नाम भी बच्चों ने ही दिया है. यहां बच्चों को किताबों से दोस्ती करना सिखाया जाता है.

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4. इस हॉल में बच्चों को नृत्य प्रशिक्षक विभिन्न प्रकार के नृत्य का प्रशिक्षण देते हैं. इसका नामकरण भी बड़े ही कलात्मक तरीके से किया गया है.

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5. बैठक कक्ष बातचीत के लिए उपयोग किया जाता है. इस हॉल के नामकरण में भी बच्चों की कलात्मकता दिखाई देती है.

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6. सिंहासन बत्तीसी यानी मीटिंग रूम का इस्तेमाल किलकारी के प्रशिक्षक और वरिष्ठ पदाधिकारियों द्वारा किया जाता है. इसलिए इसका नामकरण सिंहासन बत्तीसी के रूप में बच्चों ने किया है.

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7. किलकारी के एक प्रशिक्षक ने बताया कि बच्चों के द्वारा ही खाली बोतलों से इस बड़े से जिराफ को बनाया गया है. इसमें भी बच्चों की क्रिएटिविटी परिलक्षित होती है.

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