रिपोर्ट-धीर राजपूत
फिरोजाबाद: राम मंदिर आंदोलन से लेकर राम मंदिर निर्माण तक का लंबा समय और संघर्ष है. इस लंबे सफर के कई गवाह और साथी रहे. मंदिर के साकार रूप लेने में कई कार सेवकों का भी योगदान है. हम मिलते हैं ऐसे ही कार सेवक से जो इस पूरे सफर के साक्षी हैं.
22 जनवरी को अयोध्या में राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा समारोह है. पीएम नरेन्द्र मोदी मूर्तियों की प्राण प्रतिष्ठा समारोह में शामिल होंगे. इस अवसर पर देश का माहौल राममय हो चुका है. सबसे ज्यादा कार सेवक खुशियां मनाने के लिए तैयारी में जुटे हुए हैं. फिरोजाबाद में भी एक ऐसे ही कार सेवक रहते हैं जिन्होंने अपने आंखों से सारी घटनाएं होते देखी हैं.
6 दिसंबर का वो दिन…
ये कारसेवक रवींद्र शर्मा हैं जो फिरोजाबाद के तिलक नगर में रहते हैं. वो उस दिन 6 दिसंबर 1992 को भी अयोध्या में मौजूद थे जब बाबरी मस्जिद ढहायी गयी थी. उस दिन का दृश्य आज भी उनकी आंखों के सामने है. रवीन्द्र याद करते हैं कि उस समय अयोध्या में लाखों की संख्या में कारसेवक मौजूद थे. वह भी अपने बेटे और पत्नी के साथ वहां रामलला के दर्शन के लिए पहुंचे थे.
6 दिसंबर 1992 का वो दिन
रवींन्द्र बताते हैं तत्कालीन प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने मंदिर का ताला खुलवा दिया था और लाखों कारसेवक बाबरी मस्ज़िद के बगल में रामलला का चबूतरा बनाने की तैयारी कर रहे थे. 6 दिसंबर 1992 के उस दिन नज़ारा यह था वहां डॉ मुरली मनोहर जोशी,साध्वी ऋतंभरा, उमा भारती सहित हजारों राम भक्त और कार सेवक मौजूद थे. सब उत्साह में थे. ढपली की धुन पर नाच गा रहे थे. उनकी ढपली पर जैसे ही राम के भजन शुरू हुए वहां मौजूद साध्वी ऋतंभरा भी सिर पर गिट्टी का तसला रखकर झूमना शुरू कर दिया.
कारसेवकों के साथ दी गिरफ्तारी
रविन्द्र शर्मा याद करते हैं- हजारों कार सेवकों के साथ वो भी पत्नी और बेटे सहित बाबरी मस्ज़िद के पास पहुंचे थे. वो ढपली बजा रहे थे. उनकी ढपली पर सब नाच रहे थे. ढांचा ढहाते ही कार सेवकों की गिरफ्तारी शुरू हो गयी. उन्हें भी पत्नी और बेटे सहित पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया था. रवीन्द्र कहते हैं वो दिन और उस दिन का एक एक पल उनकी आंखों में आज भी किसी पिक्चर की तरह जिंदा है.
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FIRST PUBLISHED : January 10, 2024, 19:45 IST