इन दिनों विश्व जगत में इजरायल पर आतंकी संगठन हमास के हमले और उसके बाज गाजा पट्टी पर इजरायल की स्ट्राइक की चर्चा हो रही है। अमेरिका इस जंग में इजरायल के साथ मजबूती से खड़ा नजर आ रहा है। वहीं हमास को ईरान जैसे देशों का समर्थन मिल रहा है। इजरायल और फिलीस्तीन समेत लगभग सभी मुस्लिम राष्ट्रों के बीच मतभेदों का एक लंबा इतिहास रहा है। साल 1948 में ही यहूदियों के लिए अलग देश बनाने की दिशा में अहम फैसला हुआ था। इजरायल और हमास की जंग के बीच नई दिल्ली को शुक्रवार की नमाज के दौरान निगरानी रखने के लिए सड़कों पर तैनाती बढ़ाने के लिए कहा गया है। इज़रायली दूतावास और यहूदी धार्मिक प्रतिष्ठानों जैसे संवेदनशील क्षेत्रों में भी अतिरिक्त सुरक्षा तैनात की गई है। इजरायली मिशनों, राजनयिकों, अधिकारियों, कर्मचारियों, व्यापारिक प्रतिष्ठानों, चबाड हाउस, यहूदी सामुदायिक केंद्रों के लिए सुरक्षा व्यवस्था को मजबूत करने का अनुरोध किया गया है।
भारत में यहूदी
धार्मिक अल्पसंख्यक यहूदी 2,000 साल पहले प्रवास के बाद भारत में रह रहे हैं। यहूदी धर्म भारत में प्रवेश करने वाले पहले विदेशी धर्मों में से एक था। आज, भारत में लगभग 6,000 यहूदी रहते हैं। ऐसा कहा जाता है कि वे यहूदिया (दक्षिणी फ़िलिस्तीन) से समुद्री मार्ग से इस देश में आए और यहीं बस गए और इसे अपना घर बताया। भारत में यहूदियों को उनकी भौगोलिक स्थिति और देश में मूल मिथकों के आधार पर अलग-अलग समूहों में विभाजित किया गया है। इनमें चार मुख्य समूह हैं। सबसे बड़ा भारतीय यहूदी समूह बेने इज़राइली हैं जो मुख्य रूप से महाराष्ट्र और कोंकण में बसे हैं। कोचीन यहूदी भी हैं, जो पहली बार समकालीन राज्य केरल में लगभग 50 ई.पू. आए थे। स्थानीय किंवदंती कहती है कि यरूशलेम की घेराबंदी के दौरान पहला मंदिर नष्ट होने के बाद वे देश में चले आए और चेरा राजवंश के शासक चेरामन पेरुमल ने उनका गर्मजोशी से स्वागत किया। जबकि बगदादी यहूदी प्रवास की नवीनतम लहर में कलकत्ता, बॉम्बे और रंगून जैसे बंदरगाह शहरों में पहुंचे। यहां बनी मेनाशे भी हैं, जो उत्तर पूर्व में बसे हुए हैं।
40,000 से अधिक इजरायली करते भारत की यात्रा
1948 में इज़राइल राज्य की घोषणा के बाद कुछ यहूदी इज़राइल लौट आए, लेकिन उन्होंने स्थानीय संस्कृति के कुछ पहलुओं को बरकरार रखा है। भारत में यहूदियों के अलावा, बड़ी संख्या में इजरायली भी हैं जो भारत की यात्रा करते हैं। हर साल 40,000 से अधिक इजरायली भारत आते हैं, जिनमें से कई लोग अपनी अनिवार्य सेना सेवा समाप्त करने के बाद देश का दौरा करना चुनते हैं। वे भारत के छोटे शहरों और गांवों में रहते है।
पूरी दुनिया में सबसे महफूज भारत में महसूस करते यहूदी
भारत में यहूदियों ने यहूदी-विरोध की घटनाओं के बिना, अपेक्षाकृत शांतिपूर्ण जीवन का आनंद लिया है। जानकार बताते हैं कि भारत दुनिया में एकमात्र ऐसा स्थान है जहां यहूदियों को कभी भी यहूदी-विरोध का सामना नहीं करना पड़ा। वास्तव में 2008 तक जब पाकिस्तानी आतंकवादियों ने भारत की समुद्री सीमाओं के रास्ते वित्तीय राजधानी मुंबई में प्रवेश किया था और 26 नवंबर को कई स्थानों पर हमला किया था, तब तक भारत में यहूदियों ने कोई हिंसा नहीं देखी थी। तभी आतंकवादियों ने कोलाबा में रब्बी गेवरियल नोआच होल्त्ज़बर्ग और उनकी पत्नी रिवका होल्त्ज़बर्ग द्वारा संचालित चबाड हाउस (एक यहूदी सामुदायिक केंद्र) पर हमला कर दिया था। आतंकवादियों ने रब्बी और उनकी पत्नी को उनके मेहमानों के साथ 40 घंटे तक बंधक बनाए रखा था। हालांकि, रब्बी का दो साल का बेटा मोशे और रसोइया 12 घंटे की घेराबंदी में भागने में सफल रहे। ऑपरेशन के अंत में, रब्बी, उसकी पत्नी और पांच बंधक मृत पाए गए।
दुनिया भर में यहूदी-विरोधी हमले
यहूदी भारत में शांति और सुरक्षा का आनंद ले रहे हैं, इसके वनस्पद दुनिया में अन्य जगहों पर हमलों में इजाफा देख सकते हैं। एक चैरिटी ने कहा कि यूनाइटेड किंगडम में, इज़राइल पर हमास के हमले के बाद से यहूदी विरोधी घटनाएं चार गुना से अधिक हो गई हैं। सामुदायिक सुरक्षा ट्रस्ट (सीएसटी) ने 7 से 10 अक्टूबर तक 89 यहूदी विरोधी घृणा घटनाएं दर्ज कीं। इससे पिछले वर्ष की समान अवधि में दर्ज की गई 21 यहूदी-विरोधी घटनाओं में चार गुना से अधिक की वृद्धि हुई। इसके अलावा, सबसे पुराने यहूदी नागरिक अधिकार समूह टी-डिफेमेशन लीग के अनुसार इस्लामिक स्टेट के आतंकवादियों और श्वेत वर्चस्ववादियों के बीच लोकप्रिय मंच टेलीग्राम पर यहूदी विरोधी धमकियों में शनिवार के पहले 18 घंटों में खतरनाक रूप से 488 प्रतिशत की वृद्धि हुई है।