इस्लामिक देशों से लौटे PM मोदी को दोस्त रूस ने दे दिया बड़ा तोहफा, चीन के अरमानों पर फिर जाएगा पानी

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भारत में रूस के राजदूत डेनिस एलिकोव ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का स्थायी सदस्य बनना बहुत जरूरी है। अगर ऐसा होता है तो इससे दुनिया और खासकर ग्लोबल साउथ में आने वाले देशों को बहुत फायदा होगा।

दो इस्लामिक देशों के सफल दौरे से लौटे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को रूस ने एक बड़ा तोहफा दिया है। रूस ने एक ऐसा ऐलान किया है जिसने भारत को एक ग्लोबल लीडर बनने के और करीब पहुंचा दिया है। रूस का बयान भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर के एक बड़े ऐलान और पीएम मोदी की कतर-यूएई यात्रा के दौरान आया। आपको बता दें कि भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि उन्हें विश्वास है कि भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में स्थायी सीट मिलेगी, लेकिन यह आसान नहीं होगा क्योंकि बहुत सारे देश हैं जो हमें रोकना चाहते हैं। उनका इशारा चीन की तऱफ था। लेकिन इसके बाद रूस ने जो ऐलान किया है वो संयुक्त राष्ट्र में भारत की दावेदारी को बहुत मजबूत कर देगा। इसके साथ ही चीन पर दबाव भी डालेगा।

भारत में रूस के राजदूत डेनिस एलिकोव ने कहा है कि संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में भारत का स्थायी सदस्य बनना बहुत जरूरी है। अगर ऐसा होता है तो इससे दुनिया और खासकर ग्लोबल साउथ में आने वाले देशों को बहुत फायदा होगा। रूस ने चीन के भारत विरोधी एजेंडे को चकनाचूड़ करते हुए कहा है कि हम चाहते हैं कि भारत सुरक्षा परिषद में हमारे साथ बैठे। रूस का मानना है कि असल में भारत ही ग्लोबल साउथ का लीडर बनने लायक है। आपको बता दें कि चीन न तो भारत को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद का मेंबर बनने देना चाहता है और न ही ग्लोबल साउथ का लीडर बनते देख सकता है।

सुरक्षा परिषद में व्यापक सुधार की आवश्यकता को रेखांकित करते हुए भारत ने सवाल किया है कि शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र निकाय के पांच स्थायी सदस्यों की इच्छा विश्व संगठन के 188 सदस्य देशों की सामूहिक आवाज को कब तक कुचलती रहेगी। संयुक्त राष्ट्र में भारत की स्थायी प्रतिनिधि रुचिरा कंबोज ने सुरक्षा परिषद सुधार पर अंतर-सरकारी वार्ता में बोलते हुए जोर देकर कहा कि 15 देशों वाले संयुक्त राष्ट्र निकाय में सुधार के वैश्विक प्रयासों की आधारशिला समानता होनी चाहिए। उन्होंने कहा कि समानता की मांग है कि प्रत्येक राष्ट्र को चाहे उसका आकार या शक्ति कुछ भी हो, समान अवसर दिया जाए…वैश्विक निर्णय लेने को आकार देने के लिए।” 188 सदस्य देशों की सामूहिक आवाज़? कंबोज की टिप्पणी परिषद के पांच स्थायी सदस्यों – चीन, फ्रांस, रूस, ब्रिटेन और अमेरिका का संदर्भ थी – जिनके विशेष वीटो अधिकार अंतरराष्ट्रीय शांति बनाए रखने के मामलों पर सुरक्षा परिषद में निर्णय लेने को प्रभावित करने की शक्ति रखते हैं।

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