दीपक पाण्डेय/खरगोन. दो साल पहले तक जो पहाड़ी वीरान हुआ करती थी, आज वहां हजारों वृक्ष लहलहा रहे हैं. गर्मी के दिनों में भी यह पहाड़ी हरी भरी है. यहां वृक्षों की कई प्रजातियां ऐसी हैं, जो अब विलुप्त हो चुकी हैं. ये पहाड़ी मध्य प्रदेश के खरगोन में मौजूद है. लोगों ने इस पहाड़ी को समर्पण गिरी पर्वत नाम दिया है.
बता दें कि जिला मुख्यालय से 41 KM दूर कसरावद क्षेत्र में 2 KM अंदर गवला रोड पर समर्पण गिरी पर्वत है. पहले यहां बारिश के चार महीने छोड़ दें तो पूरे वर्ष घास का एक हरा तिनका तक नजर नहीं आता था. लेकिन, अखिल विश्व गायत्री परिवार द्वारा क्षेत्र के 250 लोगों की मदद से बंजर पहाड़ी को हरा भरा कर दिया.
लोगों से जुटाई राशि
दरअसल, वर्ष 2022 में गायत्री परिवार ने अभियान के तहत 20 बीघा पहाड़ी को विकसित करने का बीड़ा उठाया. लोगों से करीब 20 लाख रुपये की राशि जुटाई. शासन की मनरेगा योजना से 8 लाख 76 हजार का सहयोग मिला. इसके बाद पथरीली पहाड़ी पर वृहद स्तर पर पौधारोपण किया. पौधों की सुरक्षा के लिए चारों ओर तार फेंसिंग की. पौधों को जीवित रखने के लिए पूरे एरिया में ड्रिप लाइन के जरिए एक-एक पौधे तक पानी पहुंचाया. नतीजा आज छोटे-छोटे पौधे बड़े-बड़े वृक्षों में बदल रहे हैं. पेड़ों पर फल लगना शुरू हो गए.
19 महीने पहले हुआ था पौधरोपण
गायत्री परिवार के मनोज यादव ने बताया कि प्रकृति संरक्षण के उद्देश्य से 28 जुलाई 2022 को जन सहयोग से इस पहाड़ी को हराभरा करने का लक्ष्य लिया था. इंदौर संभाग की विभिन्न नर्सरियों से 100 से ज्यादा प्रजातियों के 2100 पौधे लाकर लगाए. पहाड़ी पंडित श्रीराम शर्मा आचार्य की याद में श्रीराम स्मृति उपवन बनाया है. संतोष पाटीदार इसकी देखरेख करते है.
बनी है तीन वाटिका
पहाड़ी पर 500 पौधे औषधि के लगे हैं, 400 पौधे फलदार हैं. 500 पौधे छायादार हैं. शेष अन्य पौधे सुगंधित एवं मसाले के शामिल हैं. इसके अलावा नवग्रह वाटिका, नक्षत्र वाटिका, राशि वाटिका भी बनी है. पानी स्टोरेज के लिए पोखर भी बनाया है. इसके पहले 2013 एवं 14 में इसी पहाड़ी के सामने दो अन्य पहाड़ियों को संकल्प पहाड़ी के रूप में विकसित किया है. यहां जनसहयोग से 108 त्रिवेणी लगाई थी, जो अब करीब 25 फीट ऊंची हो चुकी है. क्षेत्र के लोग यहां सुकून के लिए आने लगे हैं.