इश्क में धोखे की निशानी है ये महल, यहां दीवार पर प्रेमी जोड़े लिखते हैं नाम, फिर भटकती आत्मा देती है साथ!

अनुज गौतम/सागर: सागर में ऐसा शीशमहल है, जिसे प्यार-मोहब्बत में धोखे की निशानी माना जाता है. यही नहीं, लोगों का मानना है कि यहां पर एक आत्मा घूमती है. लोगों का दावा है कि यहां आज भी घुंघरू की आवाज आती है, ढोलक की थाप और मधुर संगीत सुनाई देता है. यहां भूल कर भी कोई अंधेरा होने के बाद नहीं आता है.  लेकिन, इस जगह पर प्रेमी जोड़े अपने प्यार का इजहार करने पहुंचते हैं.

प्रेमी जोड़े इस महल की दीवारों पर एक-दूसरे का नाम लिखते हैं. कहते हैं कि यहां भटकने वाली आत्मा प्रेमी जोड़ों का साथ देती है, उन्हें कभी जुदा नहीं होने देती. वैलेंटाइन डे के दिन यहां पर बड़ी संख्या में युवक-युवतियां पहुंचते हैं. मेला सा लगा रहता है. हालांकि, इस जगह के इतिहास और यहां भटकने वाली आत्मा को लेकर कई दंत कथाएं भी प्रचलित हैं, जो अलग-अलग हैं.

कौन है वो भटकती आत्मा?
कहा जाता है कि गढ़पहरा किले के पीछे यह शीशमहल राजा मर्दन सिंह ने नर्तकी बेला के प्यार में बनवाया था. राजा लोक लिहाज और रानी के कारण नर्तकी को सीधे तौर पर महल भेंट नहीं कर सकते थे. ऐसे में राजा ने नर्तकी से कच्ची रस्सी पर नृत्य करते हुए सामने वली पहाड़ी से शीश महल तक पहुंचने की शर्त रखी. नर्तकी ने चुनौती स्वीकार करते हुए आधा रास्ता तो पार कर लिया, लेकिन राजा ने छल करते हुए सेवक से रस्सी कटवा दी और नर्तकी की गिरने से मौत हो गई. इसके बाद नर्तकी ने राजा का वंश समाप्त होने और किला खंडहर होने का श्राप दे डाला. तभी से गढ़पहरा का किला खंडहर हो गया है. वहीं, जिस खाई में गिरने से नर्तकी की मौत हुई थी, वहां एक पत्थर के नीचे चबूतरा बना हुआ है. आसपास के गांव के लोग तीज-त्योहार पर यहां पुष्प-माला चढ़ाने आते हैं. माना जाता है कि नर्तकी की आत्मा आज भी यहां भटकती है.

रानी के धोखे दिया, महल खंडहर
दूसरी कहानी में यह भी कहा जाता है कि राजा ने जब उस नर्तकी को शीश महल में रखने का निर्णय लिया तो रानी इससे बहुत आहत हुई. राजा से बात की तो उन्होंने कच्ची रस्सी पर चलकर एक पहाड़ी से दूसरी पहाड़ी पर आने की शर्त रखी, जिसे नर्तकी ने स्वीकार किया. जब वह रस्सी पर चल रही थी तो रानी ने रस्सी को काटने की कोशिश की लेकिन कामयाब नहीं हो सकी. इसके बाद रानी के भाई रैंपी लेकर आए और रस्सी को काट दिया. उधर, खाई में गिरने से नर्तकी की मौत हो गई. यह देख राजा बेहोश होकर गिर गए.

नर्तकी को एक बार देखते ही दिल दे बैठे थे राजा
ऐसा भी कहा जाता है कि गढ़पहरा रियासत में 360 मौजे लगी हुई थी. किले के सामने बने पहाड़ पर एक नट-नर्तकी रहती थी. नर्तकी इतनी सुंदर थी कि एक बार देखते ही राजा उसके दीवाने हो गए और फिर उसे देखने के लिए उन्होंने शीश महल बनवाया, जिसकी सबसे ऊपर वाली गुंबद पर बैठकर वह सामने पहाड़ पर रहने वाली उस नर्तकी को देखते रहते थे. गढ़ पहरी का किला आज भी उतनी ही ऊंचाई पर स्थित है. सामने वह पहाड़ी भी है, जहां पर नर्तकी रहती थी. लेकिन, आज यह पूरा इलाका वीरान है.

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