इलेक्ट्रिक वाहनों का उत्पादन बढ़ाने की कोशिशों में जुटे दक्षिण-पूर्व एशियाई देश

दक्षिण-पूर्व एशिया इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) की मांग और उत्पादन में तेजी लाने की कोशिशों में जुटा है।
इस क्षेत्र में परिवहन संबंधी 89 फीसदी प्रदूषण के लिए पेट्रोल-डीजल वाहन जिम्मेदार हैं।

ऐसे में ईवी को न केवल कार्बन उत्सर्जन में कमी लाने के उपाय के रूप में देखा जा रहा है, बल्कि इसे निवेश को बढ़ावा देने के नये जरिये के तौर पर भी लिया जा रहा है, ताकि ज्यादा नौकरियां पैदा करने, मजबूत आर्थिक विकास और प्रौद्योगिकी संबंधी बढ़त हासिल करने में मदद मिल सके।

इंडोनेशिया, मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम इस दिशा में सबसे आगे हैं।
लेकिन यह सफर काफी लंबा होने वाला है, क्योंकि ईवी का बाजार अभी भी काफी कम है। दक्षिण-पूर्व एशिया में 2022 में खरीदे गए कुल वाहनों में महज 2.1 फीसदी ईवी थे। भारत में यह आंकड़ा 2.3 फीसदी और चीन में 29 फीसदी था।

इलेक्ट्रिक वाहनों को चार्ज करने के लिए बुनियादी ढांचे का धीमा विकास और ईवी की अपेक्षाकृत उच्च लागत के कारण इसका बाजार अभी मंदा है।
यह हालत तब है, जब प्रत्येक देश ईवी की कीमत कम करने के लिए उपभोक्ताओं सब्सिडी और कर में छूट जैसे लाभ दे रहे हैं।

माना जा रहा है कि देश में ही इलेक्ट्रिक वाहनों और उनके कलपुर्जों के निर्माण से उद्योग में तेजी लाई जा सकती है।
उदाहरण के लिए, इंडोनेशिया कीमतों में कमी लाने के लिए वाहनों को इलेक्ट्रिक में तब्दील करने की लागत पर सब्सिडी दे रहा है, स्थानीय स्तर पर वाहनों के निर्माण को प्रोत्साहित कर रहा है और ज्यादा से ज्यादा चार्जिंग स्टेशन स्थापित कर रहा है।

ईवी उत्पादन में सबसे अहम बैटरी है। इसलिए देश अपने ईवी बैटरी उद्योग पर भी तेजी से काम कर रहे हैं। इंडोनेशिया अपने बड़े निकल भंडार के कारण इस दौड़ में सबसे आगे है।
हालांकि, नयी ईवी बैटरी भी विकसित की जा रही है, जो कि निकल के उपयोग को कम कर देगी और आसानी से उपलब्ध होगी। साथ ही इसकी कीमत भी कम होगी।

बैटरी बदलने की सुविधा चार्जिंग के बुनियादी ढांचे की कमी को पूरा कर सकती है और इससे बैटरी चार्ज करने में लगने वाले समय की भी बचत होगी। खासकर, बाइक के लिए यह सबसे कारगर साबित हो सकती है।
कुछ देशों में कई बड़ी कंपनियां बैटरी बदलने की सुविधा उपलब्ध करा रही हैं।

इनमें इंडोनेशिया की ‘स्वैप एनर्जी’, मलेशिया की ‘ब्लूशार्क इकोसिस्टम’, थाईलैंड की ‘स्वैप एंड गो’ और वियतनाम की ‘सेलेक्स मोटर्स’ शामिल हैं।
जर्मनी की ‘इनफिनियन टेक्नोलॉजी’ ईवी बैटरी के उत्पादन के लिए मलेशिया में एक संयंत्र स्थापित कर रही है।

यही वजह है कि सेमीकंडक्टर चिप का उत्पादन केंद्र मुख्य रूप से मलेशिया और थाईलैंड हैं।
स्थिरता के लिए ईवी बैटरियों का पुनर्चक्रण भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि उत्पादन के लिए उपयोग किए जाने वाले खनिज सीमित हैं। पुनर्चक्रण से इन सीमित संसाधनों के खनन के पर्यावरणीय प्रभाव को कम करने में भी मदद मिलेगी।

हालांकि, दक्षिण-पूर्व एशिया में पुनर्चक्रण अभी भी अपने प्रारंभिक दौर में है।
मलेशिया, थाईलैंड और वियतनाम विभिन्न साझेदारों के साथ पुनर्चक्रण सुविधाओं को बेहतर बनाने की योजना पर काम कर रहे हैं।

डिस्क्लेमर: प्रभासाक्षी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।



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