दिलीप चौबे/कैमूर. कोरोना काल के बाद लोगों का रूझान एक बार फिर आयुर्वेद की तरफ बढ़ा है, यही वजह है कि युवा पीढ़ी को इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए हल्दी का महत्व भी अधिक समझ में आया है. लोगों के इसी रूझान के चलते हल्दी की खेती का चलन बढ़ा है. यही वजह है कि किसानों के लिए हल्दी की खेती मुनाफे का सौदा साबित हो रहा है. जिसके किसानों का हल्दी की खेती के प्रति रूझान बढ़ रहा है. कैमूर में कई किसानों ने इस बार अपने खेत में हल्दी का बीज बोया है. भभुआ प्रखंड के सियो गांव में हल्दी की खेती कर रहे युवा किसान 5 लाख मुनाफा कमा रहे हैं.
भभुआ प्रखंड के सियो गांव के रहने वाले युवा किसान राजू पिछले दो साल से हल्दी की खेती कर रहे हैं. राजू पांच बीघा में हल्दी की खेती कर रहे हैं. उन्होंने बताया कि हल्दी एक मात्र ऐसा मसाला है जो सब्जी में स्वाद के लिए नहीं बल्कि इम्यूनिटी पावर बढ़ाने के लिए उपयोग किया जाता है. इसकी खेती के लिए अलग से भूमि की आवश्यकता नहीं होती है. यह पेड़ों के बीच यानि गन्ना, आम और अमरूद के बीच बचे खाली जमीन पर भी की जा सकती है. हल्दी की खेती के लिए लिए कैंडल लाइट (सूर्य की ऊष्मा) की आवश्यकता होती है. एक बीघा में यह फसल लगाने की लागत मात्र 5 हजार आता है.
एक सीजन में 5 लाख की कमाई
राजू ने बताया कि छांव में तैयार होने वाली हल्दी की फसल किसान के लिए अतिरिक्त लाभ देने का काम करता है. जिस हल्दी की खेती कर रहे हैं वह काफी गुणकारी है. 5 बीघा में हल्दी की खेती पूरी तरह जैविक तरीके से करते हैं. पांच बीघे में कच्ची हल्दी 5 क्विंटल और 2 क्विंटल पक्की हल्दी का उत्पादन हो जाता है. एक सीजन में 5 लाख तक की कमाई हो जाती है. हल्दी भभुआ मंडी के अलावा मुगलसराय, बनारस, सासाराम के लोग भी आकर ले जाते हैं. खुद तो घर में हल्दी का उपयोग करते हीं, साथ ही रिश्तेदारों के यहां भी भिजवाते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 2, 2023, 19:25 IST