नई दिल्ली. रेलवे प्रोटेक्शन प्रोर्स के एक सिपाही को अपने आधिकारिक ग्रुप में किसी सूचना पर थंब-अप वाली इमोजी बनाना भारी पड़ गया. विभाग ने इस सिपाही को तत्काल प्रभाव से सस्पेंड कर दिया. इस सिपाही ने भी हार नहीं मानी और मामला मद्रास हाईकोर्ट तक पहुंचा. पेश मामले में हाईकोर्ट ने इस सिपाही को राहत देते हुए विभाग को यह आदेश दिया है कि तत्काल प्रभाव से उसे बहाल किया जाए.
यह पूरा मामला रेलवे प्रोटेक्शन फोर्स के असिस्टेंट कमांडेंट की हत्या से जुड़ा हुआ है. इस हत्या के संबंध में एक सिपाही ने महकमे के ग्रुप में जानकारी दी थी. इस जानकारी पर पीड़ित सिपाही ने थंब-अप वाली इमोजी बनाई थी. आला अधिकारियों इससे खासे नाराज हो गए. उन्होंने यह अनुमान लगाया कि सिपाही अपने सीनियर की मौत को सेलिब्रेट कर रहा है. यही वजह है कि उसे सस्पेंड कर दिया गया.
मद्रास उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने सिपाही की बहाली का आदेश देते हुए कहा, “उक्त प्रतीक को साझा करना कभी भी क्रूर हत्या का जश्न नहीं माना जा सकता है. यह केवल इस तथ्य की स्वीकृति है कि याचिकाकर्ता ने उक्त संदेश देखा था.”
रेलवे सुरक्षा बल ने उच्च न्यायालय की एकल न्यायाधीश पीठ के फैसले के खिलाफ एक रिट अपील दायर की थी, जिसने कांस्टेबल को इस आधार पर बल में बहाल करने का आदेश दिया था कि कांस्टेबल ने गलती से “थम्स अप” इमोजी साझा किया था.
रेलवे सुरक्षा बल की ओर से उपस्थित डिप्टी सॉलिसिटर जनरल के अनुसार, वर्दीधारी सेवा का सदस्य होने के नाते कांस्टेबल से अनुशासन के उच्च मानक बनाए रखने की अपेक्षा की जाती थी. हालांकि, एक वरिष्ठ अधिकारी की नृशंस हत्या से संबंधित संदेश पर उनका ‘थम्स अप’ इमोजी स्पष्ट रूप से एक ‘उत्सव’ था. इसके विपरीत, कांस्टेबल की ओर से पेश वकील ने तर्क दिया कि उसने “थम्स अप” इमोजी लगा दिया था. खंडपीठ ने कहा कि कांस्टेबल द्वारा दिया गया स्पष्टीकरण कि वह व्हाट्सएप से इतना परिचित नहीं था और उसने गलती से ‘थम्स-अप’ इमोजी साझा कर दिया था, विश्वसनीय था.
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FIRST PUBLISHED : March 13, 2024, 17:12 IST