अनुज गौतम/सागर. हिंदू धर्म में शरद पूर्णिमा का पर्व बेहद महत्वपूर्ण माना जाता है, क्योंकि इस दिन समुद्र मंथन से माता लक्ष्मी और चंद्रमा प्रकट हुए थे. इस बार 28 अक्टूबर को शरद पूर्णिमा है. बुंदेलखंड में इस महोत्सव को सुबह से ही मनाना शुरू कर दिया जाता है. प्रातः काल उठकर स्नान ध्यान करने के बाद भगवान का पंचामृत से स्नान करते हैं. नए वस्त्र धारण करते हैं और फिर चंदन लगाकर पुष्प चढ़ा कर उनकी आरती करते हैं.
महिलाओं के द्वारा इस दिन व्रत किया जाता है. भगवान सत्यनारायण की पूजा की जाती है. श्री कृष्ण मंदिरों में जाकर आराधना की जाती है. पूजा करने के लिए महिलाओं के द्वारा डेढ़ पाव मावा, डेढ़ पाव शक्कर को मिश्रित कर 6 लड्डू बनाए जाते हैं और इन्हीं से पूजा की जाती है.
इन लोगों को बांटे जाते हैं लड्डू
महिलाएं मंदिरों में जाकर या फिर अपने घरों के आंगन में एक साथ बैठकर तुलसी के पौधे को रखकर उसकी पूजा करती हैं. अपनी थाली में जो लड्डू रखे रहते हैं उन सभी लड्डुओं पर एक-एक तुलसी दल का पत्ता भी रखा जाता है. और फिर भगवान सत्यनारायण की शरद पूर्णिमा को लेकर जो जन श्रुतियां है उनको बारी-बारी से अलग-अलग महिलाओं के द्वारा कहा जाता है. कम से कम सात कहानी इस पूजा में सुनाई जाती हैं. इसके बाद आरती कर पूजा संपन्न करते हैं और यह जो छह लड्डू बनाए जाते हैं. उनमें एक बाल गोपाल को, एक गर्भवती महिला को, एक सखी को, एक पति को, एक तुलसी मैया को, एक लड्डू व्रत करने वाली महिलाएं खुद लेती हैं उसे प्रसाद के रूप में आपस में सभी को वितरण करती हैं.
सखी, पति, गर्भवती को देने का महत्व
पंडित बालशुक आशीर्वाद जी महाराज बताते हैं कि इस व्रत के करने से माता लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं भगवान विष्णु की भी कृपा बनी रहती है. और यह लड्डू जिनको दिया जाता है उन सभी को भगवान का स्वरूप माना जाता है क्योंकि पति को परमेश्वर बताया गया है. बाल गोपाल भी भगवान का स्वरूप होते हैं. गर्भवती महिला भी जगत जननी होती है और तुलसी मैया की भी पूजा की जाती है. सखी और मित्र भी ऐसे ही होते हैं. शरद पूर्णिमा की रात में खीर बनाकर अपनी छत पर रख दी जाती है. कहा जाता है कि इस दिन चंद्रमा प्रकट हुए थे इसलिए रात में अमृत की वर्षा होती है जो लोगों के सेहत और स्वास्थ्य के लिए बहुत अच्छी होती है.
शरद पूर्णिमा पर सोलह कलाओं से पूर्ण होता है चंद्रमा
आश्विन शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा शरद पूर्णिमा कहलाती है और शरद पूर्णिमा की रात में चंद्रमा अपनी सोलह कलाओं से परिपूर्ण होता है. इस वर्ष शरद पूर्णिमा का पर्व 28 अक्टूबर शनिवार को मनाया जाएगा. 28 अक्टूबर शनिवार को रात्रि में चंद्र ग्रहण पड़ेगा और ग्रहण का सूतक शनिवार को शाम 4:05 से प्रारंभ हो जाएगा. इस कारण शाम4 बजे के पहले भगवान विष्णु भगवती लक्ष्मी और तुलसी का पूजन कर लेना चाहिए.
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FIRST PUBLISHED : October 27, 2023, 18:42 IST