इन महिलाओं की कारीगरी देख आप भी हो जायेंगे कायल…खरीदने को हो जायेंगे तैयार

विक्रम कुमार झा/पूर्णिया : अभी के समय में आत्मनिर्भर बनने के लिए सभी कुछ न कुछ नया करते हैं. इसमें महिलाएं भी किसी से कम नहीं है. कुछ तो सरकार की योजनाओं का लाभ उठाती हैं, वहीं कुछ खुद से अपना रोजगार शुरू करती हैं.

पूर्णिया में भी अब जूट से कई आकर्षक चीजें बनाई जाती है. जिसका डिमांड काफी है. मीनाक्षी, कविता कुमारी, बबीता राय, आभा देवी सहित मौजूद अन्य महिलाओं ने कहा कि वह पिछले दो महीने से यहां पर काम कर रही हैं. बता दें कि वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से पूर्णिया में बनाना नेचुरल जूट फाइबर क्लस्टर खोला गया है. इससे महिलाएं आत्मनिर्भर बन रही है.

जूट से बनाये जाते हैं कई आकर्षक समान

वहीं मौजूद सभी महिलाओं ने कहा कि यहां पर जूट के बने सामान गुलदस्ता, गणपति बप्पा की आकृति, झूला, थैली, सहित अन्य कई घरेलू उपयोगी और आकर्षक चीजें बनाई जाती है. जो कि समय-समय पर एग्जीबिशन मेले में इन सामानों को भी बेचा जाता है. वहीं लोग पूर्णिया के महिलाओं के द्वारा बनाए गए इन सामान की खूब तारीफ करते हैं.

यहां सिखाई जाती है कलाकृति और कारीगरी

जानकारी देते हुए किशोर कुमार उर्फ गुल्लु दा ने कहा कि यह वस्त्र मंत्रालय भारत सरकार की तरफ से पूर्णिया में बनाना नेचुरल जुट फाइबर क्लस्टर खोला गया. इस कारखाने में भारत सरकार के द्वारा महिलाओं को 2 महीने की ट्रेनिंग दी जाती है. इसमें महिलाओं को रोजगार के साथ-साथ तरह-तरह के कलाकृति और कारीगरी भी सिखाई जाती है. इसमें जूट के मामले में पूर्णिया कलेस्टर की तरफ से यह नई-नई चीज बनाने के लिए महिलाओं की सिखाई जाती है. उन्होंने कहा यहां पर महिलाएं अलग-अलग चीज बनाती हैं.

पूर्णिया को शिल्प के नाम से यह जाना जाता है. आने वाले बड़े-बड़े मेले में भी यहां के बने हुए महिलाओं का सामान बेचा जाता है. उन्होंने कहा यहां पर महिलाएं थैला हर तरह के अलग-अलग डिजाइनिंग में और उसके जुट से बना के तरह-तरह के पर्स क्राफ्टेड आइटम एवं कई तरह के सुंदर आकृतियां सहित घरेलू सामान एवं अंकी चीज बनाई जाती है.

30 महिलाओं को चयनित कर दी जाती है ट्रेनिंग

अभी शुरुवाती दौर में यहां लगभग 30 महिलाओं को सरकार के तरफ से चयनित कर ट्रेनिंग दी जा रही है. वह ट्रेनिंग होने के बाद इन सभी महिलाओं को अच्छा खासा वेतन भी दिया जाएगा. इसके बाद आने वाले कुछ महीनों में 100 महिलाओं को फिर ट्रेनिंग दी जाएगी. वहीं अभी ट्रेनिंग के बाद महिलाओं को ₹300 प्रतिदिन के दर से महिलाओं को भुगतान किया जाएगा.

किशोर कुमार उर्फ गुल्लु दा को कहते हैं कि पूर्णिया में जो महिलाएं घर बैठी हैं. खाली समय में यहां पर आकर वह अपना कारीगरी दिखाकर अच्छी तरह से आत्मनिर्भर बन सकती हैं.

Tags: Bihar News, Local18, Purnia news

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