इन बर्तनों में न जलेगी सब्जी और रोटी, तेल की भी होगी बचत, जानें कहां से खरीदें

रामकुमार नायक, रायपुरः संसार में लोगों को अपने गुजर बसर करने के लिए कभी-कभी अपनी जन्मभूमि का त्याग करना पड़ता है. ऐसे ही कुछ लोग हैं, जो छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर से महज 160 किमी दूर महासमुंद जिले में सरायपाली शहर में रह रहे हैं. शहर के मुख्य मार्ग पर इन दिनों पसरा लगाकर लोहे से बने सामानों को बेचने के लिए मध्यप्रदेश के कुछ परिवार आए हुए हैं. सामान्य लोहे से कुछ अलग हटकर दिखने वाले सामान राहगीरों को बहुत लुभा रहे हैं. इस दौरान जहां कुछ लोग सामान खरीदने के लिए रुक रहे हैं, तो कुछ केवल देखने के लिए ही उनके पास पहुंच रहे हैं.

इन दिनों महासमुंद जिले के सरायपाली शहर में आष्टा मध्यप्रदेश से आए, कुछ लोगों द्वारा पसरा लगाकर लोहे से बने हुए बर्तनों का व्यापार किया जा रहा है. यह सामान सामान्य लोहे से नहीं बने हैं. बर्तन बनाने वाले कारीगर विक्रम ने बताया कि आष्टा मध्यप्रदेश के रहने वाले हैं, छत्तीसगढ़ के सरायपाली में कढ़ाई, तवा, फ्राई पेन, पतीया, कुदाली, फावड़ा, छलनी, दोसा तवा, तड़का पेन, झारा, खलबत्ता, कुदाली जैसे अन्य सामान बेंच रहें हैं. जो कि यह विशेष धातु से बनी हुई है. इसमें ना सब्जी जलती है, ना रोटी और तेल की भी बहुत कम खपत होती है.

बर्तनों की जानें खासियत
विक्रम ने बर्तनों की खासियत के बारे में बताते हुए कहा कि इन कढ़ाईयों को हथौड़े से ठोक-ठोक कर बनाया गया है, न कि किसी फैक्ट्री में बनी है. उन्होंने बताया कि जितना भी सामान है, उसमें कभी भी जंग नहीं लगती है,  उन्होंने बताया कि इस तरह के धातु से बनी हुई सामग्रियां बाजार में भी नहीं मिलती हैं. उन्होंने बताया कि आष्टा मध्यप्रदेश में विक्रम के दादाजी, बड़े पिताजी, भैया सब इन सामानों को बनाते हैं, फिर अलग-अलग राज्यों में जाकर बेचने का काम किया जाता है. इनके पास छोटे, बडे विभिन्न प्रकार के लगभग 150 रुपए से 3000 रुपए तक की सामग्री उपलब्ध है.

बर्तनों की जानें कीमत
विक्रम ने आगे बताया कि छोटी वाली तड़का पैन की कीमत 150 रुपए है. इसमें बड़े वाले 350, 450, 750 रुपए में मिल जाएगी. कढ़ाई का मूल्य 650, 1700, 1800 रुपए है, जिसमें अलग अलग वैरायटी मिल जाती है. छोटे वाले तवा का रेट 250 रुपए है, इसमें 350 और 450 रुपए वाले भी तवा हैं. यह मांगरोली लोहा का बना हुआ होता है. चित्तौड़ से बना हुआ है, इसमें सब्जियां नहीं चिपकती है न जलती हैं. सब्जी में स्वाद भी आ जाता है. उन्होंने बताया कि राजस्थान में धान ढोने के लिए बड़ा ट्रैक्टर होता है, उसे हेलीकॉप्टर का लोहा कहते हैं. इसे मांगरोली लोहा भी कहा जाता है, जिससे फ्राई पैन बना हुआ है.

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