वॉशिंगटन. रूस और चीन ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में गाजा तक मानवीय मदद पहुंचाने के लिए युद्ध विराम का आह्वान करने वाले अमेरिका के नेतृत्व में लाए एक प्रस्ताव के मसौदे पर वीटो का इस्तेमाल किया. इसके बाद ब्रिटेन और अमेरिका ने भी इजरायल-हमास संघर्ष पर रूस द्वारा लाए गए एक विपरीत प्रस्ताव के खिलाफ वीटो इस्तेमाल किया.
संयुक्त राष्ट्र की 15 सदस्यीय सुरक्षा परिषद ने इजरायल-हमास संघर्ष पर अमेरिका तथा रूस द्वारा पेश किए दो विरोधी प्रस्तावों पर वीटो किया. अमेरिका द्वारा पेश किए गए पहले प्रस्ताव में कहा गया है कि सदस्य देशों को आतंकवादी कृत्यों से शांति तथा सुरक्षा के लिए पैदा किए गए खतरों के खिलाफ अपनी रक्षा करने का अधिकार है. इसमें हमास आतंकवादियों द्वारा शासित क्षेत्र गाजा में पूर्ण, त्वरित, सुरक्षा तथा निर्बाध पहुंच के लिए सभी उपाय करने का आह्वान किया गया है.
सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्यों रूस तथा चीन ने अमेरिका द्वारा पेश किए इस प्रस्ताव पर वीटो का इस्तेमाल किया. संयुक्त अरब अमीरात ने भी प्रस्ताव के मसौदे के खिलाफ वीटो किया. इसके पक्ष में 10 (अल्बानिया, फ्रांस, इक्वाडोर, गाबोन, घाना, जापान, माल्टा, स्विट्जरलैंड, ब्रिटेन, अमेरिका) सदस्यों ने वोट किया तथा ब्राजील और मोजाम्बिक मतदान से दूर रहे.
इस प्रस्ताव पर मतदान से पहले संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की राजदूत लिंडा थॉमस-ग्रीनफील्ड ने कहा था कि वॉशिंगटन ने मजबूत और संतुलित प्रस्ताव पर आम सहमति बनाने का प्रयास किया है. उन्होंने रूस तथा चीन द्वारा इस प्रस्ताव के खिलाफ वीटो किए जाने पर निराशा जताई और सुरक्षा परिषद के सदस्यों से रूस के प्रस्ताव पर वोट देकर मॉस्को के ‘‘निंदनीय और गैरजिम्मेदाराना बर्ताव’’ को बढ़ावा न देने का अनुरोध किया.
इसके बाद सुरक्षा परिषद ने मॉस्को के प्रस्ताव पर भी मतदान किया जिसमें मानवीय युद्धविराम, गाजा में निर्बाध सहायता और इजरायली सैनिकों द्वारा गाजा के नागरिकों को दक्षिणी हिस्से में जाने का आदेश तुरंत रद्द करने का आह्वान किया गया था. इस प्रस्ताव के पक्ष में पर्याप्त वोट नहीं पड़े. चार देशों – चीन, गाबोन, रूस और संयुक्त अरब अमीरात ने इसके पक्ष में वोट किया जबकि ब्रिटेन और अमेरिका ने इस पर वीटो का इस्तेमाल किया तथा नौ देशों – अल्बानिया, ब्राजील, इक्वाडोर, फ्रांस, घाना, जापान, माल्टा, मोजाम्बिक, स्विट्जरलैंड मतदान से दूर रहे.
पिछले एक सप्ताह में यह चौथी बार है, जब शक्तिशाली संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद इजरायल पर सात अक्टूबर को हमास के हमले के बाद से शुरू हुए युद्ध में कोई प्रस्ताव स्वीकार करने तथा एकजुट होकर कार्रवाई करने में विफल रही है. संयुक्त राष्ट्र में इजरायल के स्थायी प्रतिनिधि गिलाड एर्डन ने कहा कि अमेरिका के प्रस्ताव के खिलाफ वोट करने वाले परिषद के सदस्यों ने दुनिया को यह दिखाया है कि यह परिषद इस्लामिक स्टेट जैसे आतंकवादियों की निंदा करने का सबसे मूलभूत काम करने में भी असमर्थ है और इन जघन्य अपराधों के पीड़ितों के आत्मरक्षा के अधिकार की पुष्टि भी नहीं कर सकती. इजरायल पर हमला किया गया और दक्षिण की ओर से हमास तथा उत्तर की ओर से हिजबुल्ला द्वारा लगातार हमले किए जा रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 26, 2023, 12:25 IST