इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद के हेडक्वार्टर पर ईरान ने दागी बैलिस्टिक मिसाइल, चार की मौत, 6 लोग घायल

नई दिल्ली:

इजरायल और फिलिस्तीन में चल रही जंग के बीच ईरान ने इजरायली खुफिया एजेंसी मोसाद के हेडक्वार्टर पर बैलिस्टिक मिसाइल से हमला किया है. इस हमले को ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड ने अंजाम दिया है. ये हमला इराक के अर्ध-स्वायत्त कुर्दिश क्षेत्र इरबिल में किया गया है. जिस स्थान पर हमला किया गया वहां से कुछ दूरी पर अमेरिका का वाणिज्यिक दूतावास स्थिर है. कुर्दिश क्षेत्रीय सरकार के सिक्योरिटी काउंसिल ने इस बारे में एक बयान जारी किया. जिसमें कहा गया कि इस हमले में 4 लोगों की मौत हुई है और 6 लोग गंभीर रूप से घायल हुए हैं.

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गार्ड्स पर हमले का लिया बदला

मोसाद के हेडक्वार्टर पर हमले के बाद ईरान के रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने कहा कि उन्होंने सीरिया में इस्लामिक स्टेट के खिलाफ भी इसी प्रकार की कार्रवाई की है. रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स ने कहा कि, यहूदी शासन ने हमारे गार्ड्स को निशाना बनाया और अत्याचार किया. जिसमें हमारा कमांडर मारा गया. जिसका बदला कुर्दिश क्षेत्र में मौजूद मोसाद के हेडक्वार्टर पर बैलिस्टिक मिसाइल दागकर लिया गया है. रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स के इस हमले के चलते गाजा में स्थिति खराब हो सकती है.

कुर्दिश क्षेत्र का इस्तेमाल करता है इजरायल

बता दें कि ये कोई पहला मौका नहीं है जब ईरान ने कुर्दिश क्षेत्र में इस प्रकार का हमला किया हो. ईरान अक्सर उत्तरी कुर्दिस्तान क्षेत्र में हमले करता आया है. इस बीच तेहरान ने दावा किया है कि कुर्दिस्तान क्षेत्र का इस्तेमाल ईरानी अलगाववादी समूहों के अलावा इजरायल के खुफिया एजेंट भी करते हैं. जो ईरान का कट्टर दुश्मन है. बता दें कि इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद को दुनिया की सबसे खूंखार और बेहतरीन खुफिया एजेंसी माना जाता है. भले ही मोसाद हमास के हमले का अंदाजा नहीं लगा पाई लेकिन उसका जासूसी नेटवर्क इजरायल में ही नहीं बल्कि दुनिया के कई देशों में फैला हुआ है.

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लाल सागर में हूती विद्रोहियों के हमले जारी

उधर लाल सागर में हूती विद्रोही लगातार हमले कर रहे हैं. सोमवार को भी हूती विद्रोहियों ने एक अमेरिका कार्गो शिप पर हमला किया. यूएस सेंट्रल कमांड और ईगल बल्क नामक अमेरिकी कंपनी ने भी इस बात की पुष्टि की. लेकिन हूती विद्रोहियों के हमले में जहाज को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ और ना ही किसी को कोई चोट आई. वहीं दूसरी और हूती विद्रोहियों पर जवाबी कार्रवाई की चर्चा ब्रिटेन की संसद में भी हुई. जिसमें ब्रिटेन के पीएम ऋषि सुनक ने सफाई दी और कहा कि उन्होंने आत्मरक्षा में ये कार्रवाई अमेरिका के साथ मिलकर की.

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