इंसानियत की मिसाल पेश कर रहें हैं अमरदीप! 1000 लोगों का इलाज…

गौरव सिंह/भोजपुर : आज कल लोग जिंदा रहते अपने परिचित या परिवार के लोगों से मुंह मोड़ लेते हैं. उनका साथ छोड़ देते हैं. पर एक शख्स इंसानियत की मिसाल पेश कर रहा है. आरा में कोई लावारिस, जख्मी इंसान दिखता है तो उसका इलाज करवाता है. साथ ही लावारिस शव का अंतिम संस्कार भी करता है. ये हैं अमरदीप कुमार.

ये लावारिस, मानसिक विक्षिप्त, भिखारी ऐसे सभी जख्मियों का इलाज कराने का बीड़ा उठाया है. लावारिस भिखारी को जख्म हो जाये, सड़क दुर्घटना हो जाय, उनके शरीर मे कीड़े लग जाय तो उनको अमरदीप उनका इलाज खुद से करवाते हैं. अगर कोई अज्ञात व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है और कोई दाह संस्कार करने वाला नहीं है तो खुद अमरदीप श्मशान ले जा दाह संस्कार करते हैं.

अब तक कर चुके हैं 1000 लोगों का इलाज
वर्ष 2018 से इस सेवा में लगे अमरदीप बताते हैं कि अब तक 1000 से अधिक लावारिस मरीजों को सदर अस्पताल पहुंचा उनका इलाज करवाया है. साथ ही 250 से अधिक लावारिस मरीजों को उनके परिजनों से मिला चुके हैं.वर्ष 2023 में इन्होंने अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार भी करना शुरू किया है. अब तक ये 70 अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार कर चुके हैं.

ऐसे हुई शुरूवात
तीन साल पहले समाज का सहयोग लेकर अमरदीप स्टेशन पर भिखारियों को भोजन कराते थे. इसी क्रम में उन्हें एक ऐसी बीमार महिला मिली, जो भोजन देने के बाद भी खाना नहीं खा पा रही थी. जब अमरदीप को पता चला कि उक्त महिला मानसिक मरीज होने के साथ बुरी तरह घायल है. तब पहली वे उक्त लावारिस महिला को इलाज कराने सदर अस्पताल में ले गए. उसके स्वस्थ होने तक उसकी सेवा सुश्रुसा की और बाद में उसे कोईलवर स्थित मानसिक आरोग्यशाला में भर्ती कराया. उस महिला के इलाज कराने के बाद से ही अमरदीप कुमार जय ऐसे अन्य लावारिसों का इलाज कराना शुरू किए.

इसके बाद से अमरदीप स्टेशन, बस स्टैंड और सड़क पर घायल अवस्था में मिले एक हजार से अधिक मरीजों का इलाज करा चुके हैं. मरीजों की सेवा के लिए अमरदीप ने टीम मदर टेरेसा का गठन भी किया है. बेसहारा लोगों के बीच भोजन और कपड़े उपलब्ध कराना आज भी उनकी दिनचार्या में शामिल है.

धार्मिक रीति रिवाज से कराते है अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार
सदर अस्पताल में पड़े अज्ञात शवों की दुर्दशा देख अमरदीप एवं उनकी टीम उनका अंतिम संस्कार कराने में भी भूमिका निभा रही है. उन्होंने बताया कि पहली बार विगत 24 मार्च को एक अज्ञात मुस्लिम युवक के शव का अंतिम संस्कार शिवगंज स्थित कब्रिस्तान में रमजान के दिन कराया गया था. इस कार्य में मुस्लिमों के अलावा कई हिंदुओं ने भी सहयोग किया था.

अमरदीप की देख रेख में अब तक 70 अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार कराया जा चुका है. उन्होंने बताया कि लावारिस मरीजों की सेवा से लेकर अज्ञात शवों का अंतिम संस्कार कराने में एक तरफ जहां समाज के सुधी जनों का भरपूर सहयोग मिलता है, वहीं कई लोग तरह तरह के ताने देकर हमें हतोत्साहित भी करते रहते हैं.

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