इंदौर के इस कॉलेज में जापानी पद्धति से लगाए जाएंगे 8,000 पौधे,जानें पूरा प्लान

राधिका कोडवानी/इंदौर. सफाई में सात बार अव्वल आने के बाद इंदौर में बेहतर आबोहवा के लिए भी काम हो रहा है. इसे सुधारने के लिए मध्यप्रदेश के श्री गोविंदराम सेकसरिया तकनीकी और विज्ञान संस्थान (SGSITS) के परिसर में मियावाकी फॉरेस्ट तैयार किया जा रहा है. एसजीएसआइटीएस और रूपांतर सोसाइटी के अनुबंध के बाद विभाग ने जापानी मियावाकी पद्धति से संस्थान की करीब एक एकड़ जमीन पर 8 हजार पौधों का प्लांटेंशन ड्राइव शुरू किया है. 30 एकड़ में बने कॉलेज कैंपस के लगभग 1.9 एकड़ में कैंपस फॉरेस्ट और एक एकड़ में मियावाकी पद्धति से फॉरेस्ट तैयार होगा.

एसजीएसआइटीएस निदेशक राकेश सक्सेना ने कहा कि हमारे परिसर में कुछ हरित क्षेत्र हैं, अब रूपांतर के सहयोग से परिसर में बसंत पंचमी से पांच दिन तक सघन पौधारोपण होगा. इसमें वो पौधे भी लगाए जा रहे हैं, जो विलुप्ति की कगार पर है. संस्थान 30 एकड़ जमीन पर फैला है, जिसमें से 8 एकड़ जमीन पर ओपन स्पेस है. लगभग 1 लाख से ज्यादा पेड़ और पौधे लगे हुए हैं. इस कारण यहां आबोहवा शुद्ध होने के साथ भूजल स्तर भी अच्छा है. कैंपस को ग्रीन पॉकेट बनाने के लिए लगातार अभियान चलाया जाता है.

फलदार और फूलदार पौधे होंगे
रूपांतर सोसाइटी के मनवीर खनूजा बताते हैं कि मियावाकी के लिए कुछ महीने पहले ही तैयारी शुरू हो गई थी. शुरुआत में जेसीबी से खुदाई की गई, ताकि स्लोप बनाया जा सके. जमीन को उपजाऊ बनाने के लिए पांच लेयर्स बनाई गई. इसके बाद 100 ट्रॉली बायो कंपोस्ट, 25 डंपर कॉउ डंग, 5 ट्रॉली वार्मिंग कंपोस्ट, 5 ट्रॉली गीला कचरा और मिट्टी थी. यहां कई तरह के फलदार और फूलदार पौधे होंगे. इनमें सीताफल, आम, जाम, सुरजना, बिल्व पत्र के अलावा फूलों में गुड़हल, टेकोमा, केसिया और अन्य प्रजाति में करंज, कचनार, मौलश्री, चिरोल, बादाम, नीम, पीपल, बरगद, पारस पीपल के पौधे लगाए जाएंगे.

क्या है मियावाकी
कैंपस प्रभारी एलेक्स कुट्टी ने बताया कि यह एक जापानी प्लांटेशन की तकनीक है. इसमें एक-एक फीट की दूरी पर पौधे लगते हैं. इसके कारण सघन पौधारोपण होता है. सूर्य का प्रकाश धरती पर न आते हुए सीधे पौधों पर पड़ता है. इसलिए पौधों के आसपास जंगली घास नहीं उगती है और पौधों को पोषक तत्व सीधे मिलता है. फिर ये पौधे तेजी से विकसित होते हैं. अगले दो से तीन साल में यह घने जंगल में तब्दील हो जाते हैं. कैंपस में नर्सरी भी है, यहां हजारों तरह के पौधे मिलेंगे.

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