नई दिल्ली13 मिनट पहले
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अगर आप इन दिनों म्यूचुअल फंड्स में निवेश करने का प्लान बना रहे हैं तो इंडेक्स फंड अच्छा ऑप्शन हो सकता है। ऐसे में जो निवेशक म्यूचुअल फंड में निवेश करके कम से कम जोखिम के साथ अच्छा रिटर्न चाहते हैं, उनके लिए इंडेक्स फंड सही ऑप्शन हो सकते हैं। इस कैटेगिरी के कई फंड्स ने बीते 1 साल में 21% से ज्यादा का रिटर्न दिया है।
इसके अलावा एक्सपर्ट्स के अनुसार अगले 4 साल शेयर बाजार में सालाना 20% बढ़ सकता है। ऐसे में निफ्टी 50 या सेंसेक्स 30 में भी अच्छी तेजी देखने को मिल सकती है। यहां हम आपको इंडेक्स फंड के बारे में बता रहे हैं ताकि आप भी इसमें निवेश करें मुनाफा कमा सकें।
एक्सपेंस रेश्यो रहता है कम
इंडेक्स फंड में निवेश करने का खर्च अपेक्षाकृत कम होता है। बता दें कि अन्य प्रत्यक्ष रूप से प्रबंधित म्युचुअल फंडों में जहां एसेट मैनेजमेंट कंपनी तकरीबन 2% तक शुल्क वसूलती है, वहीं इंडेक्स फंडों का शुल्क बहुत कम यानी कि तकरीबन 0.5% से 1 के बीच होता है।
डाइवर्सिफिकेशन का मिलता है फायदा
इंडेक्स फंड से निवेशक अपना पोर्टफोलियो डाइवर्सिफाई कर सकते हैं। इससे नुकसान की संभावना घट जाती है। अगर एक कंपनी के शेयर में कमजोरी आती है तो दूसरे में ग्रोथ से नुकसान कवर हो जाता है। इसके अलावा इंडेक्स फंडों में ट्रैकिंग एरर कम होता है। इससे इंडेक्स को इमेज करने की एक्यूरेसी बढ़ जाती है। इस तरह रिटर्न का सटीक अनुमान लगाना आसान हो जाता है।
कितना देना होता है टैक्स?
12 महीने से कम समय में निवेश भुनाने पर इक्विटी फंड्स से कमाई पर शार्ट टर्म कैपिटल गेन्स (STCG) टैक्स लगता है। यह मौजूदा नियमों के हिसाब से कमाई पर 15% तक लगाया जाता है। अगर आपका निवेश 12 महीनों से ज्यादा के लिए है तो इसे लॉन्ग टर्म कैपिटल गेन्स (LTCG) माना जाएगा और इस पर 10% ब्याज देना होगा। हालांकि अगर आपका LTCG 1 लाख से कम है तो आपको इस पर कोई टैक्स नहीं देना होता है।
किसके लिए सही हैं इंडेक्स फंड?
इंडेक्स फंड उन निवेशकों के लिए सही हैं जो कम रिस्क के साथ शेयरों में निवेश करना चाहते हैं। इंडेक्स फंड ऐसे निवेशकों के लिए बेहतर है जो रिस्क कैलकुलेट करके चलना चाहते हैं, भले ही कम रिटर्न मिले।
SIP के जरिए निवेश करना रहेगा सही
म्यूचुअल फंड में एक साथ पैसा लगाने के बजाए सिस्टमेंटिक इनवेस्टमेंट प्लान यानी SIP के जरिए निवेश करना चाहिए। SIP के जरिए आप हर महीने एक निश्चित अमाउंट इसमें लगाते हैं। इससे रिस्क और कम हो जाता है क्योंकि इससे इस पर बाजार के उतार चढ़ाव का ज्यादा असर नहीं पड़ता।