इंडिया गठबंधन: मजबूत प्रत्याशी होने पर ही सहयोगी दलों को सीटें देगी सपा, कांग्रेस की बात मानने को तैयार नहीं

India alliance: SP will give seats to allies only if they have strong candidates

सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव व कांग्रेस नेता राहुल गांधी।
– फोटो : अमर उजाला

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इंडिया गठबंधन के घटक दलों के बीच लोकसभा सीटों के बंटवारे की कवायद शुरू होनी है, पर मौजूदा परिस्थितियों में यह गुत्थी आसानी से सुलझते हुए नहीं दिख रही है। सपा ने फैसला किया है कि घटक दलों के पास मजबूत प्रत्याशी होने पर ही वह कोई भी सीट छोड़ेगी। सीटों के बंटवारे के लिए तृणमूल, सपा और डीएमके सरीखी क्षेत्रीय पार्टियां भी एकसमान फॉर्मूला अपनाने पर सहमत हैं।

कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने 6 दिसंबर को इंडिया के प्रमुख 15 घटक दलों के नेताओं की बैठक बुलाई थी। लेकिन तृणमूल कांग्रेस की नेता ममता बनर्जी, सपा अध्यक्ष अखिलेश यादव, डीएमके नेता एमके स्टालिन, जदयू नेता नीतीश कुमार और झामुमो के नेता हेमंत सोरेन ने बैठक में भाग लेने से मना कर दिया। इसके बाद बुधवार को होने वाली बैठक को टाल दिया गया है। लेकिन लोकसभा व राज्यसभा में विपक्ष के दलीय नेताओं को दिल्ली में खरगे के आवास पर डिनर के लिए आमंत्रित किया गया है।

इंडिया गठबंधन के सूत्रों के मुताबिक, डिनर के जरिये मप्र चुनाव के चलते पैदा हुई खटास को दूर करने की कोशिशें होंगी। अगली बैठक के लिए संभावित तारीखों पर विचार भी किया जाएगा। पांच राज्यों के चुनाव के दौरान ही राजद और जदयू समेत इंडिया के कई घटक दल न सिर्फ एक बड़ी रैली का आयोजन करना चाहते थे, बल्कि सीटों के बंटवारे के फॉर्मूले पर वार्ता करने की भी उनकी योजना थी। लेकिन कांग्रेस ने पांच राज्यों के चुनाव के नतीजों के बाद इस पर विचार करने की बात कहते हुए मामले को टाल दिया था।

कांग्रेस की बात मानने को तैयार नहीं क्षेत्रीय दल

इंडिया के सूत्रों का कहना है कि अब क्षेत्रीय शक्तियां भी सीटों के लिहाज से कांग्रेस की बहुत ज्यादा बात मानने के लिए तैयार नहीं हैं। सपा पहले ही कांग्रेस से कह चुकी है कि यूपी में वो जो सीटें चाहती है, उन पर किस नेता को लड़ाएगी, पहले यह बताए। सपा के रणनीतिकारों का कहना है कि लोकसभा चुनाव में कोई भी प्रत्याशी तभी लड़ाई में आता है, जब उसके पास कम से कम डेढ़ से दो लाख बुनियादी वोटों का इंतजाम हो। तब गठबंधन के कारण जुड़ने वाला वोट उसे जीत की ओर ले जाता है। इसलिए पहले कांग्रेस को यह बताना होगा कि डेढ़ से दो लाख बुनियादी वोट हासिल कर सकने वाले कौन से नेता उसके पास हैं। सीट बंटवारे की बात उसके बाद ही शुरू होगी। सपा सूत्रों का कहना है कि इंडिया की समन्वय बैठक में मांगे जाने के बावजूद कांग्रेस ने उन नेताओं की सूची नहीं सौंपी है, जिन्हें वह यूपी में लोकसभा चुनाव लड़ाना चाहती है।

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