नई दिल्ली:
Fast Patrol Vessels: इंडियन कोस्ट गार्ड की ताकत बढ़ाने के लिए रक्षा मंत्रालय 14 नए फास्ट पेट्रोल वेसल यानी पानी के जहाज खरीदने जा रही है. जो समुद्री लुटेरों के लिए मुसीबत बनेंगे. इसके लिए रक्षा मंत्रालय ने बुधवार को मुंबई स्थित मझगांव डॉक शिपबिल्डर्स लिमिटेड (MDL) के साथ 1,070 करोड़ रुपये के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए हैं. रक्षा मंत्रालय ने एक बयान में कहा कि, ये फास्ट पेट्रोल वेसल कई हाई-टेक सुविधाओं और उपकरणों से लैस होंगे. इसके साथ ही ये वेसल बहुउद्देशीय ड्रोन, वायरलेस कंट्रोल रिमोट और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) की क्षमता वाले होंगे. इन वेसल से बहुआयामी चुनौतियों का सामना किया जा सकेगा और तट रक्षकों की ताकत में इजाफा करेंगे.
ये भी पढ़ें: दिल्ली-दरभंगा स्पाइसजेट फ्लाइट में बम की धमकी, तलाशी जारी
सर्च ऑपरेशन, समुद्री डकैती जैसे अभियानों निभाएंगे अहम भूमिका
रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा कि नए जहाजों को एमडीएल कंपनी स्वदेशी रूप से डिजाइन, विकसित और निर्मित करेगी. कंपनी इन जहाजों को अगले पांच साल में तट रक्षक को सौंपेगी. ये जहाज मत्स्य पालन संरक्षण के अलावा निगरानी, कंट्रोलिंग और मॉनिटरिंग, तस्करी विरोधी अभियान, सर्च, रेस्क्यू अभियान, संकट में फंसे जहाजों को सहायता पहुंचाने के अलावा समुद्री डकैती विरोधी अभियानों में अहम भूमिका निभाएंगे.
ये भी पढ़ें: Halwa Ceremony: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नॉर्थ ब्लॉक में मनाई हलवा सेरेमनी, 1 फरवरी को आएगा बजट
हथियारों के आयात पर रोक, आत्मनिर्भर बनेगा भारत
बता दें कि भारत आत्मनिर्भर बनने के लिए कई कदम उठा रहा है. इसी उद्देश्य की पूर्ति के लिए पिछले साल अप्रैल में रक्षा मंत्रालय ने 98 तरह के हथियारों के आयात पर प्रतिबंध लगा दिया था. इमें मानव रहित एरियल सिस्टम, समुद्री निगरानी विमान, युद्धपोत, हेलीकॉप्टरों और टैंकों के लिए अलग-अलग तरह के गोला-बारूद, रडार, सेंसर और अन्य उपकरण भी शामिल हैं. इसके साथ ही सरकारी कंपनियों और निजी क्षेत्र के रक्षा उत्पादन वैल्यू में पिछले पांच साल में लगभग दोगुने की बढ़ोतरी हुई है. जिससे सरकार ने सैन्य आयात पर में कटौती करने के साथ-साथ हथियारों के निर्यातक में अपनी स्थिति को मजबूत करने की दिशा में कई अहम उपाय किए हैं.
ये भी पढ़ें: रामलला की तीसरी मूर्ति भी आई सामने, जानें राम मंदिर में कहां पर होंगे स्थापित?
रोजगार के अवसर होंगे पैदा
रक्षा मंत्रालय ने अपने बयान में कहा है कि इस अनुबंध से आत्मनिर्भर भारत के तहत देश की स्वदेशी जहाज निर्माण क्षमता में बढ़ोतरी होगी. इसके साथ ही यह प्रोजेक्ट देश में रोजगार के ज्यादा अवसर पैदा करेगा. बता दें कि भारत सरकार रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर करने को प्राथमिकता दे रही है.