दीपक कुमार/बांका: बिहार की अधिकांश आबादी कृषि पर निर्भर है. इसी से लोगों की आजीविका चलती है. कृषि में हो लगातार हो रहे बदलाव से किसानों की आर्थिक स्थिति भी सुधर रही है. बिहार का बांका भी कृषि प्रधान जिला है. यहां की 80 फीसदी लोग कृषि पर हीं निर्भर करते हैं. हालांकि यहां के किसानों ने फसलों की खेती खेती पर अपनी निर्भरता कम दी है. कृषि से जुड़े अन्य व्यवसाय पर अधिक फोकस कर रहे हैं. इस कार्य में महिला भी कहां पीछे रहने वाली है.
कृषि से जुड़े व्यवसाय शुरू कर बांका की दर्जननों महिलाएं आत्मनिर्भर बन चुकी हैं. उन्हीं महिला किसानों में एक बांका जिला के कटोरिया प्रखड अंतर्गत मेढ़ा गांव की रहने वाली किसान बंदना कुमारी हैं. बंदना इंटीग्रेटेड फार्मिंग के जरिए सफलता की कहानी गढ़ रही हैं और उतकृष्ट कृषि कार्य के लिए कई बार सम्मानित भी हो चुकी है. बंदना पथरीली इलाके के लगभग 50 बीघे में खेती कर रही है.
50 बीघे में बंदना कर रही हैं खेती
बंदना कुमारी ने बताया कि हमारे पूर्वज भी खेती-किसानी हीं किया करते थे. शादी के बाद ससुराल पहुंची तो यहां भी खेती हीं आजीविका का मुख्य साधन था. ससुराल वाले 50 बीघे में खेती कर रहे थे, लेकिन पथरीली भूमि रहने के चलते पटवन बड़ी समस्या थी. उन्होंने बताया एक दिन सासू मां के साथ खलिहान गई तो देखा कि चूहे धान को बर्वाद कर रहा था. इस समस्या का हल ढूंढने में लग गए. तभी जुगाड़ लगाया और मोटर में पंखा लगाकर धान को आसानी से तैयार कर लिया.
धान से भूसी हटाने में दिनभर का समय लग जाता है, लेकिन जुगाड़ से महज कुछ हीं घंटे में धान की तैयारी कर ली. इस जगाड़ को जब प्रदर्शनी में लगाया तो महेन्द्रा कंपनी के अधिकारी काफी प्रभावित हुए और 2012 में 51 हजार नगद राशि देकर सम्मानित किया था. इस सम्मान ने मनोबल को बढ़ाने का काम किया. तब से कृषि में रच-बस गई और यह सिलसिला अब भी जारी है.
तालाब और चेक डैम ने खेती का राह कर दिया आसान
बंदना ने बताया कि खेती को आसान बनाने के लिए घूंघट से बाहर निकलना पड़ा और पटवन की समस्या को दूर करने के लिए छोटे-छोटे तालाब का निर्माण करवाया और बारिश के पानी को तालाब में जमा करने लगे. वहीं जगह-जगह चेक डैम का भी निर्माण करवाया. इसमें नदी से आने वाली पानी को सिंचाई के लिए जमा करने लगी.
इससे पटवन के साथ-साथ वाटर लेवल की समस्या को भी हद तक काबू करने में कामयाब हो गए. इसके बाद बागवानी के साथ अलग-अलग तरह की फसलों की खेती करने लगे. साथ हीं छोटे-छोट तालाब में मछली पालन भी शुरू कर दिया. इससे होने वाली आमदनी से गो-पालन में किसमत आजमाया और वह भी सफल रहा.
सालाना सात लाख की होती है कमाई
बंदना ने बताया कि बागवानी में आम, अमरूद, नींबू, पपीता लगाए है. साथ ही बड़े पैमाने पर सागवान भी लगाया है. फसल में मक्का, गेहूं, सरसों, चना, मसूर के साथ सब्जी में मुख्य रूप से मिर्च और टमाटर की खेती करते हैं. खेती पूरी तरह से जैविक आधारित है. पहले धान का पैदावार कम था, वहीं वर्मी कंपोस्ट के इस्तेमाल से उत्पादन कई गुणा बढ़ गया है. कृषि ने अलग पहचान दी है. सालाना सात लाख से अधिक की कमाई कर लेते हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 16, 2024, 19:22 IST