इंटीग्रेटेड फार्मिंग: छोटे से खेत में भी कमा सकते हैं लाखों रुपये, जानिए इसके बारे में सबकुछ

नई दिल्ली. प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी (PM Narendra Modi) ने आत्मनिर्भर भारत का नारा दिया है. इस लक्ष्य को हासिल करने में कृषि क्षेत्र भी बड़ा योगदान दे सकता है बशर्ते किसान इंटीग्रेटेड फार्मिंग को अपनाए. एक ही किसान अपने खेत पर कई तरह के कार्य कर ना केवल अपनी आय में इजाफा कर सकता है बल्कि देश की प्रगति में भी सहायक बन सकता है. हम आज आपको जयपुर के एक ऐसे किसान की कहानी बता रहे हैं जिन्होंने इस आईएफएस (IFS) मॉडल को अपनाकर खेती को एक नए आयाम दिया है.

क्या होती है इंटिग्रेटेड फार्मिंग-इससे कोई भी किसान सालभर मुनाफा कमा सकता है. इस प्रणाली में एक घटक से बचे हुए उत्पादों और अवशेषों को दूसरे घटक के लिए उपयोग में लाया जा सकता है. अगर आप मुर्गीपालन करते हैं तो पोल्ट्री की बीट को मछलियों को खिला सकते हैं. इससे मछली की अधिक मात्रा में तादात होगी, जिससे मुनाफा होगा और दूसरा उस तालाब के पानी को सिंचाई के लिए प्रयोग में लाया जा सकेगा. अगर इसके साथ पशुपालन भी किया जाए गाय-भैँस के दूध को बेचकर अच्छा मुनाफा कमाया जा सकता है.

आइए करते हैं किसान सुरेन्द्र अवाना के खेत का दौरा
जयपुर के निकट बिचून गांव में प्रगतिशील किसान सुरेन्द्र अवाना खेती को नया आयाम दे रहे हैं. एक ओर जहां देश के किसान खेती से गुजारा नहीं होने की बात कहकर धीरे – धीरे खेती से दूर होते जा रहे हैं वहीं दूसरी ओर सुरेन्द्र अवाना खेती का आईएफएस मॉडल यानी इंटीग्रेटेड फार्मिंग सिस्टम अपनाकर खेती से कई गुना मुनाफा कमाने की तरकीब सूझा रहे हैं. सरकार भी किसानों से केवल परंपरागत खेती के भरोसे रहने की बजाय समन्वित खेती अपनाने पर जोर दे रही है.

ये भी पढ़ें: आलू 50 रुपये और प्याज के दाम 100 के पार पहुंचे! नवरात्र के बाद और तेजी से बढ़ सकती हैं कीमतें

समन्वित खेती यानी खेती के साथ ही खेती से जुड़े दूसरे कार्यों को भी साथ में ही अपनाया जाना ताकि खेती में लागत को कम किया जा सके और आय में इजाफा हो सके. एकीकृत खेती अपनाने का एक बड़ा फायदा यह है कि यदि किसी वजह से एक काम से आय नहीं भी होती है तो दूसरे काम से गुजारा चलाया जा सकता है.

एक साथ कई तरह की खेती से बढ़ा रहे इनकम
सुरेन्द्र अवाना अपने खेत पर नए जमाने की खेती के साथ ही बागवानी, औषधीय खेती, डेयरी, मछली पालन और खाद निर्माण जैसे कार्य एक साथ करते हैं. ये सभी कार्य एक-दूसरे से जुड़े होने के चलते लागत कम हो जाती है. मसलन पशुओं के लिए चारा खेत में ही पैदा हो जाता है. पशुओं का अपशिष्ट खाद बनाने के काम आ जाता है. इसी तरह मछलियों के लिए आहार भी खेत और डेयरी से मिल जाता है. सुरेन्द्र अवाना अपने खेत पर 18 तरह का चारा उपजा रहे हैं. इस बहुवर्षीय चारे से 5 से 80 साल तक आय होगी. इतना ही नहीं अवाना परंपरागत खेती के साथ ही मरुधरा में सेब, बादाम और स्ट्रॉबेरी जैसी खेती भी कर के दिखा रहे हैं.

A2 मिल्क की है भारी डिमांड
खेती के साथ ही अवाना ने बड़े स्तर पर डेयरी का व्यवसाय करते हुए करीब 170 देशी नस्ल की गिर गाय पाली है. इस देशी गाय के A2 मिल्क की है भारी डिमांड है और उनके दामों में बिकता है. डेयरी से निकलने वाले गोमूत्र – गोबर का खेती में खाद के रूप में उपयोग होता है. ऑर्गेनिक खाद तैयार कर बेचने के लिए उन्होंने खेत पर ही प्लांट लगाया हुआ है. ऑर्गेनिक खाद के इस्तेमाल से तैयार हुई ऑर्गेनिक उपज के दाम भी ज्यादा मिलते हैं.

ये भी पढ़ें: बड़ी खबर- किसानों के लिए एक और स्कीम ला रही है मोदी सरकार, मिलेंगे 5000-5000 रुपये

मछलीपालन भी साथ में कर रहे किसान सुरेन्द्र अवाना कहना है कि यह आय का बड़ा जरिया है जिसमें एक बीघा जमीन से एक साल में 10 लाख की आमदनी हो सकती है. मछलीपालन के लिए सरकार से सब्सिडी भी मिलती है. मछलियों की डिमांड भी ज्यादा है और दाम भी ज्यादा मिलते हैं. वहीं कोरोना काल में औषधीय खेती का महत्व भी बढ़ गया है. सुरेन्द्र अवाना ने भी औषधीय खेती शुरू कर दी है और इससे भविष्य में बड़े मुनाफे की उम्मीद है. किसान सुरेन्द्र अवाना का कहना है कि सरकार का लक्ष्य साल 2022 तक किसान की आय दोगुनी करना है लेकिन एकीकृत खेती से आय कई गुना की जा सकती है. सुरेन्द्र अवाना के इस सफल मॉडल को देखने देश भर से किसान और कृषि वैज्ञानिक आते हैं.

Tags: Farmers, Kisan, Pm narendra modi

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *