मो सरफराज आलम/ सहरसा. इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी करने के बाद नौकरी के लिए दर-दर भटक रहे एक युवक के लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म वरदान साबित हुआ है. जी हां! पढ़ाई पूरी करने के बाद जब पप्पू कुमार को नौकरी नहीं मिली, तो सोशल मीडिया से कुछ सीख कर अपना बिजनेस शुरू किया. जानकारी के अनुसार पप्पू कुमार ने सोशल मीडिया पर बतख पालन का वीडियो देखकर पप्पू ने बतख पालन शुरू किया है. सहरसा जिले के सिमरी बख्तियारपुर प्रखंड के पूर्वी कोसी तटबंध के अंदर बसे सकरा पहाड़पुर गांव के पप्पू को अब इस काम में मन भी लगने लगा है.
साथ ही यही उनकी कमाई का जरिया भी बन गया है. पप्पू के पास अभी एक हजार से अधिक बतख है.पप्पू बताते हैं कि बतख पालन को लेकर उन्होंने यूट्यूब का सहारा लिया और यूट्यूब को खंगालना शुरू कर दिया. यूट्यूब से ही उन्होंने बतख पालन को लेकर तमाम जानकारी हासिल की. इसके बाद उन्होंने मुजफ्फरपुर से इंडियन और देहाती प्रजाति का लगभग 200 बतख खरीदकर लाया और उसका पालन शुरू किया. वे बताते हैं कि इस इलाके में वे पहले इंसान हैं, जिसने बतख पालन किया है. पप्पू बताते हैं कि उनका इलाका बाढ़ प्रभावित है. जगह-जगह पानी लगा रहता है. बावजूद इस इलाके में कोई भी बतख का पालन नहीं करता है.
हाजीपुर और मुजफ्फरपुर में बेचते हैं बतख का अंडा
पप्पू ने बताया कि बतख पालन करने के लिए तालाब की आवश्यकता होती है. बत्तख पानी पर ही आश्रित रहता है. हमारे इलाके में नदी और पोखर भरे पड़े हैं. बतख को उन्हीं पोखरों या नदी में छोड़ देते हैं. वे बताते हैं कि सबसे बड़ी खासियत यह है कि देसी प्रजाति के बतख को काफी कम चारा खिलाना पड़ता है. साथ ही पालन करने में मेहनत भी कम लगता है. उनका कहना है कि बतख का अंडा वे हाजीपुर और मुजफ्फरपुर जैसे विभिन्न जिलों में सप्लाई करते हैं, जिससे अच्छी- खासी हो कमाई भी हो जाती है. पप्पू यह भी बताते हैं कि बतख पालन करने के बाद उन्होंने सरकार से सहायता लेना चाहा, लेकिन अबतक सहयोग नहीं मिला.
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FIRST PUBLISHED : September 14, 2023, 17:43 IST