इंजीनियरिंग की, MBA किया, फिर छोड़ी 9 लाख की नौकरी, अब गांव से कमा रहे 30 लाख

कुंदन कुमार/गया: आज बहुत से युवा ऐसे हैं जो रिस्क लेकर बिजनेस शुरू कर रहे हैं. कई स्टार्टअप में भाग्य आजमा रहे हैं, इसके लिए वे लाखों के पैकेज वाली नौकरी तक छोड़ दे रहे हैं और कड़ी मेहनत के बाद उन्हें सफलता भी मिल रही है. कुछ ऐसी ही कहानी गया के एक युवा की है. इस शख्स ने एमबीए किया और फाइनेंस सेक्टर में 9 लाख के पैकेज की नौकरी मिल गई, लेकिन नौकरी रास नहीं आई.

नौकरी छोड़कर यह युवक अपने गांव लौट आया. यहां 8 एकड़ के तालाब में मछली पालन शुरू किया और आज सालाना 30 लाख रुपये कमा रहा है. गया के मानपुर प्रखंड के सीकहर गांव के रहने वाले अखिल मेहता ने ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की. उसके बाद एमबीए किया और पुणे में 2 साल तक 9 लाख रुपये के सालाना पैकेज पर फाइनेंस सेक्टर में काम किया.

2017 में जॉब छोड़ आए घर
अखिल ने ऑटोमोबाइल इंजीनियरिंग की पढ़ाई पूरी की उसके बाद एमबीए किया और पुणे में 2 साल तक 9 लाख के सालाना पैकेज पर फाइनेंस सेक्टर में काम किया. फाइनेंस सेक्टर की जॉब छोड़कर 2017 में अपने घर आ गए. परिवार का बिजनेस संभालने लगे. इनका व्यवसाय काफी बढ़िया चल रहा था. लेकिन, 2020 में कोरोना के दौरान सारा काम ठप हो गया. ऐसे में उन्होंने यूट्यूब से मछली पालन के बारे में जानकारी प्राप्त की और उसके बाद देश के कई जगहों पर विभिन्न विशेषज्ञ और मछली पालकों से मुलाकात की. प्रशिक्षण लेने के बाद इन्होंने अपने गांव के 8 एकड़ जमीन पर तालाब खुदवाया और मछली पालन की शुरुआत की.

सालाना 30 लाख की हो रही है आमदनी
दो वर्षों से अखिल मछली पालन कर रहे हैं और इसे इन्हें सालाना लगभग 30 लाख रुपए की आमदनी हो रही है. गांव में दो बड़े तालाब जबकि पांच छोटे तालाब बने हुए हैं. इन तालाबों को तीन भागों में बांटा गया है, जिसमें नर्सरी पॉन्ड, प्री-नर्सरी पॉन्ड और ग्रो आउट पॉन्ड है. प्री-नर्सरी पॉन्ड में मछली के बच्चों को पाला जाता है और 50 ग्राम तक होने के बाद उसे नर्सरी पॉन्ड में डाल दिया जाता है. वहां पर लगभग 200 ग्राम तक होने के बाद बड़े तालाब ग्रो आउट पॉन्ड में डाल दिया जाता है. अखिल बड़े तालाब से साल में दो बार मछली का कल्चर करते हैं और लगभग 140 टन मछली का उत्पादन होता है.

जासर मछली का करते हैं पालन
मुख्य रूप से अखिल जासर मछली का पालन करते हैं. इसकी मार्केटिंग गया के अलावा नालंदा और पटना में होती है. थोक भाव में 120 रुपये किलो आसानी से इस मछली की बिक्री हो जाती है. जासर मछली के पालन में सबसे ज्यादा खर्च मछली चारा पर होता है. कुल आय का 70% खर्च मछलियों के खाने पर हो जाता है. मछली पालन के लिए उन्हें विभिन्न सरकारी योजनाओं का लाभ भी मिला है. अखिल की चाहत है कि आने वाले दिनों में और वृहद पैमाने पर मछली पालन हो, इसके लिए विभिन्न तकनीक का इस्तेमाल करने जा रहे हैं.

Tags: Fisheries, Gaya news, Local18, Money18, Success Story

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *