आस्था के सामने हारी उम्र, 70 साल का यह भक्त कर रहा नर्मदा की दंडवत परिक्रमा

भरत तिवारी/जबलपुर. भगवान और उनके भक्तों की आस्था के सामने तो बड़ी से बड़ी समस्याएं भी घुटने टेक देती हैं. ऐसे में उम्र क्या चीज है, जिस उम्र में एक आम इंसान अपने घर में कुर्सी पर बैठकर आराम से चाय पीते हुए अखबार पढ़ना चाहता है, उस उम्र में सीहोर के 70 वर्षीय नर्मदा भक्त रमेश दास बैरागी मां नर्मदा की दंडवत परिक्रमा कर रहे हैं.

मां नर्मदा की परिक्रमा यात्रा बहुत महत्वपूर्ण मानी जाती है, पुराणों में मां नर्मदा नदी पर एक अलग ही उल्लेख है, सनातन धर्म में परिक्रमा का बड़ा महत्व माना जाता है, परिक्रमा से अधिप्राय है कि सामान्य स्थान या किसी व्यक्ति के चारों ओर उसकी बहिनी तरफ से घूमना, इसको प्रशिक्षण करना भी कहते हैं, नर्मदा परिक्रमा यात्रा एक धार्मिक यात्रा है जिसने भी नर्मदा या गंगा में से किसी एक की भी परिक्रमा पूरी कर ली उसने अपनी जिंदगी का सबसे बड़ा काम कर लिया. नर्मदा की परिक्रमा का ही ज्यादा महत्व माना जाता है.

मां नर्मदा की यात्रा में एक और जहां रहस्य रोमांच और खतरे हैं वहीं अनुभवों का भंडार है. लोगों का ऐसा कहना है कि अगर पूर्ण तरीके से मां नर्मदा की यात्रा की जाए तो मां नर्मदा की एक पूर्ण परिक्रमा लगाने में 3 वर्ष 13 माह और 13 दिन लगते हैं.

आस्था के सामने हारी उम्र, 70 साल की उम्र में कर रहे दंडवत परिक्रमा
70 वर्षीय रमेश दास बैरागी ने हमें बताया कि वह ग्राम नसरुलागंज जिला सीहोर के निवासी हैं, उन्होंने हंडिया घाट जिला सीहोर से 28 जनवरी 2020 में नर्मदा परिक्रमा की शुरुआत की थी, तब से लेकर अब तक 4 साल हो जाने के बाद वह लगभग 330 किलोमीटर की दंडवत परिक्रमा कर जबलपुर संस्कारधानी के ग्राम धनपुरी पहुंचे. इसके बाद आगे 200 किलोमीटर की और यात्रा कर वे अमरकंटक पहुंचेंगे और उसके बाद जल चढ़ाकर वापस दंडवत अमरकंटक से हंडिया घाट तक परिक्रमा करेंगे उसके बाद ओंकारेश्वर में कन्या भोज के साथ इसका समापन किया जाएगा.

70 वर्षीय रमेश दास बैरागी गृहस्थ बैरागी है. उन्होंने बताया कि उनका एक पुत्र पंडित भी है, उन्होंने बताया कि उनके मन में संकल्प आया कि उन्हें मां नर्मदा की दंडवत परिक्रमा करनी चाहिए, इतनी उम्र में उनकी यह आस्था है कि इस उम्र में वह मां नर्मदा की दंडवत परिक्रमा कर पा रहे हैं, रमेश दास बैरागी ने हमें बताया कि वह अपने रास्ते पर परिक्रमा करते हुए आगे बढ़ते जाते हैं और इसी बीच जहां पर भी उन्हें खाना, विश्राम या स्नान का मौका मिलता है. वे वही खाना और स्नान कर लेते हैं और इसी प्रकार पिछले 4 सालों से उनकी दिनचर्या लगातार चली आ रही है और उनकी परिक्रमा यात्रा भी लगातार जारी है.

Tags: Jabalpur news, Latest hindi news, Local18, Mp news

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *