अनूप पासवान/कोरबा. मिर्गी यानी एपिलेप्सी क्रोनिक ब्रेन डिजीज है. मिर्गी की बीमारी होने पर लोगों को बार-बार दौरे पड़ते हैं और इसकी वजह से उनकी जिंदगी बुरी तरह प्रभावित होती है. एपिलेप्सी सबसे कॉमन बीमारियों में से एक है, जो दुनियाभर में 5 करोड़ से ज्यादा लोगों को प्रभावित करती है. वर्ल्ड हेल्थ ऑर्गेनाइजेशन (WHO) के अनुसार मिर्गी की बीमारी के सबसे ज्यादा मामले कम आय वाले देशों में मिलते हैं और भारत में लाखों लोग इस बीमारी से जूझ रहे हैं. मिर्गी नाम सुनते ही लोग डर जाते हैं, कि यह गंभीर बीमारी ठीक नहीं होती है. लेकिन यह गलत है. क्या आपको पता है, एलोपैथी के साथ-साथ हमारी भारतीय आयुर्वेद में इस बीमारी के उपचार का उपाय बताया गया है. इस विषय को लेकर आयुर्वेदिक चिकित्सा डॉ नागेंद्र नारायण शर्मा से बातचीत की.
डॉ. नागेंद्र नारायण शर्मा ने बताया कि मिर्गी तंत्रिका तंत्र से संबंधित एक ऐसा विकार है, जो रोगी की संज्ञानात्मक और मनोवैज्ञानिक क्षमता को प्रभावित करता है. आयुर्वेद में मिर्गी को अपस्मार के रूप में परिभाषित किया गया है, जहां अप उपेक्षा और स्मर चेतना को दर्शाता है. आयुर्वेद में बताए गए पारंपरिक औषधीय विरासत का उपयोग कर रोगी व्यक्ति इस रोग से छुटकारा पा सकता है. साथ ही डॉक्टर शर्मा ने बताया कि मिर्गी के दौरो से खुद को बचाने के लिए वज्रासन, पश्चिमोत्तानासन, शीर्षासन, सूर्य नमस्कार और अनुलोम विलोम का अभ्यास प्रमुख रूप से करना चाहिए. मिर्गी उपचार के लिए अनुलोम विलोम का रामबाण माना जाता है.
मिर्गी रोग से निजात पाने के लिए आयुर्वेदिक उपाय
- मेधा वटी और अश्वगंधा कैप्सूल का सेवन करने से रोगी व्यक्ति को राहत मिलती.
- एक एक चम्मच बादाम रोगन दूध में डालकर पिएं.
- अमृत रसायन का एक-एक चम्मच सेवन करे.
- गाय के घी और मक्खन का सेवन रोजाना जरूर करे.
- ब्राह्मी, शंखपुष्पी, वंशलोचन, मुलेठी, अश्वगंधा आदि मिर्गी की समस्या से छुटकारा दिलाने में कारगर.
नोटः यहां दी गई जानकारी डॉक्टर नागेंद्र नारायण शर्मा से की गई बातचीत पर आधारित है. इसकी न्यूज 18 पुष्टि नहीं करता है.
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FIRST PUBLISHED : January 16, 2024, 16:52 IST