आप भी फेंक देते हैं किचन का वेस्ट…तो संभल जाइए, बचा सकते हैं हजारों रुपए

ओम प्रकाश निरंजन/कोडरमा. हम सभी के घरों से प्रत्येक दिन सब्जियों और फलों के छिलके, फलों के बीज, पेड़ के पत्ते कचरा के रूप में बाहर निकलता है. जिसे लोग बेकार मानकर फेंक देते हैं. लेकिन आज हम आपको एक ऐसे शख्स के बारे में बताने जा रहे हैं जो इस तरह के कचरे को भूलकर भी अपने घर से बाहर नहीं फेंकते हैं. इसके पीछे की वजह जानकर आप भी चौंक जाएंगे और इस तरह के कचरे से साल में हजारों रुपए की बचत कर पाएंगे.

झूमरी तिलैया के विद्यापुरी निवासी ट्रेन के लोको पायलट मिथिलेश राम गुप्ता पर्यावरण और आयुर्वेद से जुड़े रहते हैं. लोकल 18 से विशेष बातचीत में उन्होंने बताया कि घर की छत के ऊपर गमले में तरह-तरह के फूल, फल, सब्जी और औषधीय पौधों की उन्होंने एक बागवानी तैयार की है. जिसकी देखभाल वह अपने बच्चों की तरह करते हैं. समय-समय पर बागवानी में पानी देना, इनकी साफ-सफाई करना उनके दिनचर्या में शामिल है. इससे उन्हें मानसिक शांति और प्राकृतिक ऊर्जा प्राप्त होती है।

नहीं करते हैं रासायनिक उर्वरक की खरीददारी
मिथिलेश राम ने बताया कि उन्होंने अपने घर पर बागवानी में लौंगिया मिर्च, कद्दू, सेम, बैगन, टमाटर के अलावे कई प्रकार के फूल के पौधे लगाए हैं. उन्होंने बताया कि उनके बेहतर देखभाल के लिए समय-समय पर इन्हें उर्वरक की आवश्यकता होती है. हालांकि उन्होंने आज तक बाजार से किसी प्रकार के रासायनिक उर्वरक की खरीददारी नहीं की है.

पेड़ पौधों की उत्पादन क्षमता बढ़ती है
उन्होंने बताया कि घर में खाना बनाने के दौरान सब्जियों के छिलके और सब्जियों के खराब बचे हुए भाग, सब्जियों और फल के छिलके को एक मिट्टी के बड़े हांडी में जमा करते हैं. जब यह भर जाता है तो कचरे के रूप में जमा इन छिलकों को एक बैग में भरकर उसमें केचुआ डाल दिया जाता है. करीब 3 महीने के अंतराल में फल और सब्जियों के छिलके उत्तम क्वालिटी के उर्वरक ( वर्मी कंपोस्ट) के रूप में तैयार हो जाते हैं. जिन्हें बागवानी में उर्वरक के रूप में उपयोग किया जाता है. जिससे पेड़ पौधे लहलहाते रहते हैं और उनके उत्पादन क्षमता बढ़ती है.

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