रिपोर्ट – अनंत कुमार
गुमला. देवी-देवताओं के मंदिरों के बारे में अनेकों कहानियां, जनश्रुति प्रचलित है. ऐसी ही एक कहानी झारखंड के गुमाल जिले के बुढ़वा महादेव की भी है. महाशिवरात्रि के अवसर पर आइए आपको सुनाते हैं गुमला के भुईंफुट महादेव की कहानी. भुईंफुट यानी जहां जमीन को फाड़कर भगवान शंकर प्रकट हुए. दरअसल, यहां पर भगवान शंकर का प्रतीक शिवलिंग पीपल के पेड़ के नीचे खोह में मिला था. स्थानीय लोग मानते हैं कि देवाधिदेव महादेव ने पाहन यानी पुजारी को स्वप्न देकर बताया था कि वे पास के जंगल में पीपल के पेड़ की खोह में प्रकट हुए हैं. पाहन ने जब पीपल की पेड़ को नीचे से काटना शुरू किया, तो आधा पेड़ फाड़ने के बाद खोह में शिवलिंग दिखा. बाद में और लोग जमा हुए, श्रमदान किया गया और बुढ़वा महादेव मंदिर की स्थापना की गई. इस मंदिर का इतिहास करीब 100 साल पुराना बताया जाता है.
यह मंदिर जिला मुख्यालय के वार्ड नंबर 16 करमटोली में स्थित है. 2018 में बुढ़वा महादेव मंदिर निर्माण समिति का गठन किया गया और अब खपड़ा से बने मंदिर को भव्य रूप दिया जा रहा है. बुढ़वा महादेव मंदिर शिवभक्तों के लिए आस्था का बड़ा केंद्र है. नववर्ष, महाशिवरात्रि, सावन के दिनों में यहां महादेव के दर्शन को शिव भक्तों का तांता लगा रहता है. गुमला के अलावा झारखंड के दूसरे जिले, बिहार ओडिशा, छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से भी लोग पूजा-अर्चना के लिए पहुंचते हैं.
शिवरात्रि में 24 घंटे कीर्तन
यहां महाशिवरात्रि व सावन के महीने में पूरे विधि-विधान से पूजा-पाठ की जाती है. 24 घंटे का अखंड हरि कीर्तन व महाभंडारा का आयोजन किया जाता है. इस दिन हजारों की संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं. महादेव भक्तों की सारी मनोकामनाएं पूरी करते हैं. मंदिर परिसर में पेयजल, शौचालय की व्यवस्था है. साथ ही यहां शादी/विवाह एवं अन्य समारोह भी होते हैं.
मंदिर के सेवक सुखदेव ने बताया कि मैं 1984 ई से महादेव की सेवा कर रहा हूं. वे बताते हैं कि महादेव की शक्ति अपरंपार है. महादेव अपने भक्तों की हर मनोकामना पूर्ण करते हैं. मैंने यहीं आराधना करते हुए कम पढ़े-लिखे होने के बावजूद नौकरी पाई. मेरे जैसे कई लोग हैं जिन पर भगवान शिव की कृपा रही है. सुखदेव ने बताया कि वे 1984 से अब तक सुबह-शाम महादेव की सेवा व मंदिर की साफ-सफाई करते आ रहे हैं.
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FIRST PUBLISHED : March 8, 2024, 16:57 IST
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