विनय अग्रिहोत्री/भोपाल.भील चित्रकारी आदिवासी कला-संस्कृति का वह अभिन्न हिस्सा है जो आज देश-दुनिया में जानी जाती है. आदिवासी समुदाय मिट्टी के घर की दीवारों को इससे सजाते हैं. इसलिए इस पेंटिंग के कथ्य में पूरी आदिवासी जीवनशैली ही उकेरी जाती है. आदिवासी समुदाय के कुछ चित्रकार इस शैली को खत्म होने से बचाने के लिए पूरी दुनिया में इस कला को लोगों के बीच बांट रहे हैं. पहले प्राकृतिक रंगों का कैनवास मिट्टी की दीवारें होती थीं तो अब यह कागज और अन्य वस्तुओं पर उकेरी जा रही है.
राजधानी भोपाल की ललिता ताहिर पिछले 5 वर्षों से लगातार भील पेंटिंग बनाती आ रही हैं. आज इनकी एक पेंटिंग की कीमत 30000 रुपये तक की है.
लोकल 18 से बात करते हुए ललिता ने कहा कि साल 2016-17 में भोपाल में एक एग्जीबिशन में काम करने के लिए गई थी. वहां पर मेरी मुलाकात शिखा जी से हुई. मुझे भील पेंटिंग देखकर बहुत अच्छा लगा. शिखा जी ने मुझे अप्रोच किया तुम भी भील पेंटिंग सीखो. उन्होंने मुझे कलर कैनवास दिया और भील पेंटिंग की कुछ बारीकियां को समझाई, यहीं से मेरी भील पेंटिंग जर्नी की शुरुआत होती है.
6 महीने लगे सीखने में
साल 2017 में मैंने भील पेंटिंग बनाने की शुरुआत की थी. मुझे करीब 6 महीने का वक्त लगा.भील पेंटिंग बनाने के लिए सबसे पहले मैं कैनवस में पेंसिल की मदद से ड्राइंग बनाती हूं. ड्राइंग करने के बाद मैं इसे एग्रिक कलर से तरह-तरह के कलर फिल करती हूं. ज्यादातर मैं भील समुदाय के देवी देवताओं की पेंटिंग, आदिवासियों की पेंटिंग, जानवरों की पेंटिंग आदि बनाती हूं. एक पेंटिंग बनाने में करीब 1 से 2 दोनों का समय लगता है मेरी पेंटिंग तीन से चार फीट लंबाई होती है आज मैं अपनी इस भील समुदाय की कला को राजधानी भोपाल के अलावा गुजरात दिल्ली में भी बड़े-बड़े एग्जीबिशन में पार्टिसिपेट करके अपनी पेंटिंग थी प्रदर्शनी लगती हूं लोगों को भील समुदाय की पेंटिंग से रूबरू कराती हूं.ललिता ने बताया कि, एक पेंटिंग की कीमत 200 रुपये से शुरू होकर करीब 30000 रुपये तक की होती है. जिसे लोग खरीदने में अपनी दिलचस्पी भी दिखाते हैं. लोगों का प्यार देखकर मुझे बहुत अच्छा महसूस होता है.
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FIRST PUBLISHED : March 10, 2024, 18:35 IST