आदिवासी छात्र का कमाल… हिंदी नहीं आने पर संथाली में किया हनुमान चालीसा का अनुवाद, राष्ट्रपति करेंगी विमोचन

 शिखा श्रेया/जामताड़ा. कभी ठीक से हिंदी पढ़ने नहीं आती थी, लेकिन आज पूरा का पूरा हनुमान चालीसा को ही संथाली में अनुवाद कर डाला. जी हां, आपने बिल्कुल ठीक सुना.आठवीं कक्षा तक झारखंड के जामताड़ा के जादूडीह गांव निवासी रबिलाल हांसदा को हिंदी भी पढ़ने नहीं आती थी. एक-एक अक्षर तोड़-तोड़ के पढ़ते थे. लेकिन कक्षा नौवीं से उन्होंने हिंदी भी पढ़ी और उसके बाद 11वीं 12वीं में मन लगाकर ऐसा संस्कृत पढ़ की पूरा का पूरा रामचरितमानस से लेकर हनुमान चालीसा और महाभारत तक मुंह-जुबानी याद हो गई.

रबिलाल फिलहाल दिल्ली के लाल बहादुर शास्त्री यूनिवर्सिटी से संस्कृत में B.Ed कर रहे हैं. उन्होंने फोन पर लोकल 18 से खास बातचीत की. उन्होंने कहा, ‘क्लास 8 तक तो मैंने क्या पढ़ाई की है, मुझे खुद ही याद नहीं है. चुकी जंगली क्षेत्र से था इसीलिए जंगल में घुमता था. मैने जंगल से सांप पकड़कर उसे पकाकर खाया है. लेकिन कक्षा 9वीं से शिक्षक ने मुझे प्रेरित किया कि मुझे मन लगाकर पढ़ना चाहिए. मुझमें कुछ बड़ा करने की काबिलियत है’.

शिक्षकों की बात मानकर संस्कृत पढ़ना शुरू किया
राबिलाल ने बताया मैंने कभी सोचा नहीं था कि मैं हनुमान चालीसा को संथाली लिपि में अनुवाद करूंगा. लेकिन यह शुरू तब हुआ जब मेरे शिक्षक ने मुझे बताया कि आपको संस्कृत पढ़ना चाहिए. हालांकि, उस समय सभी ने मुझे मना किया की संस्कृत पढ़ कर क्या करोगे. इसमें कोई भविष्य नहीं है.लेकिन जब मैं पढ़ना शुरू किया तो दिलचस्पी जगी और धीरे-धीरे मुझे चीजें समझ में आने लगी.

उन्होंने आगे बताया और फिर मैं रामचरितमानस, सुंदरकांड, महाभारत व हनुमान चालीसा यह सब पढ़ना शुरू किया. तब मैंने पाया की सनातन धर्म और आदिवासी संस्कृति में कोई बहुत अधिक फर्क नहीं है. जो ना के बराबर है.आदिवासी लोग संस्कृति नहीं जानते. इसीलिए मुझे लगा उन लोगों के बीच जागरूकता लाने के लिए मुझे इसे अपनी भाषा में अनुवाद करना चाहिए. जिससे वह लोग भी आसानी से पढ़ पाए और समझ पाए.

हनुमान चालीसा से शुरुआत
रबिलाल ने बताया. ‘मैंने हनुमान चालीसा को पहले अनुवाद के लिए चुना. अगर यह चीज लोग अपने जिंदगी में भी उतार लें तो जीवन में निश्चय ही सफलता पाएगा. यही कारण है कि इस संदेश के साथ मैंने हनुमान चालीसा को अनुवाद करने की ठानी. यह काम मैंने पूरे 6 महीने में पूरा किया है..मैं कभी अपने कॉलेज की लाइब्रेरी में तो कभी अपने रूम में, तो कभी बगीचे में बैठकर अनुवाद का काम किया करता था. साथ ही मेरे लिए यह गर्व की बात है हनुमान चालीसा का विमोचन राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू अपने हाथों से करेगी.राष्ट्रपति 5 दिसंबर को दीक्षा समारोह में बतौर अतिथि शामिल होगी. जहां वह इस पुस्तक का भी विमोचन करेगी’.

Tags: Hanuman Chalisa, Local18

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