आतंक का पर्याय था काले: मलबा ढ़ोने वाला बन गया गैंगस्टर, हनक बढ़ाने के लिए बढ़ा रहा था कुनबा, पढ़ें पूरी कहानी

Kaale was synonymous with terror, the debris carrier became a gangster, was expanding the clan to increase his

पूर्व भाकियू नेता हत्याकांड
– फोटो : अमर उजाला

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उन्नाव जिले के शुक्लागंज में कोतवाली गंगाघाट के पश्चिमी पुलिस चौकी के मोहल्ला चंपापुरवा निवासी शमशेर उर्फ काले खान 25 वर्ष पहले खड़खड़ा से अपने पिता मोहम्मद हसन के साथ मलवा ढ़ोता था।  रुपये और नशे की लत ने उसे जरायम की दुनिया में ला दिया और गैंगस्टर बन गया। इसके बाद में उसने पीछे मुड़कर नहीं देखा और एक के बाद एक अपराध करता गया।

हालांकि इस दौरान वह अपराध जगत में अपनी हनक जमाने के लिए अपना कुनबा भी बढ़ाता रहा। काले के घर के पास रहने वाले उसके नाते-रिश्तेदार और मोहल्ले के बुजुर्ग लोगों ने बताया कि कासगंज के ढ़ाई गांव से मोहम्मद हसन अपनी पत्नी आशा के साथ यहां 35 साल पहले यहां आकर बसे। वह यहां एक झोपड़ी में रहते थे। अपने सबसे बड़े बेटे कोल खान के साथ वह खड़खड़े से मलवा ढ़ोकर परिवार पालते थे।

अमीर बनने की जिद ने काले को जरायम की दुनिया में ला दिया और 18 साल की उम्र में गांजा बेचने को लेकर मारपीट की घटना कारित की। इसके बाद अपराध जगत में उसके पैर बढ़ते गए और गैंगस्टर बन गया। जरायम से आने वाले धन को उसने जमीनों और मकानों में लगाना शुरू कर दिया। परिजनों के नाम से उसने गंगाघाट से लेकर गांव तक में मकान बनवा डाले। वहीं, दूसरी ओर अपराध जगत में पैर जमाने के लिए वह अपना कुनबा भी बढ़ाता गया।

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