तनुज पाण्डे/नैनीताल : उत्तराखंड की संस्कृति, इतिहास और राजनीतिक धरोहरों को संजोए हुए नैनीताल के डीएसबी परिसर में हिमालय संग्रहालय स्थित है. इस संग्रहालय में रखी उत्तराखंड से जुड़ी प्रत्येक धरोहर का इतिहास हिमालय की तरह ही विराट रहा है. इस संग्रहालय में उत्तराखंड की संस्कृति, पौराणिकता और इतिहास का मिला जुला संयोग देखने को मिलता है.
हिमालय संग्रहालय की स्थापना साल 1987 में डीएसबी परिसर के इतिहास विभाग में एक छोटे से कमरे में हुई थी. साल 2004 में इस संग्रहालय को वर्तमान के असेंबली हॉल में स्थापित किया गया. यहां उत्तराखंड की संस्कृति, इतिहास, दस्तावेज, उत्तराखंड की पत्रकारिता का इतिहास, स्मारक, अभिलेख, ताम्रपत्र, पांडुलिपियां, उत्तराखंड का समाज, स्वतंत्रता संग्राम से जुड़ीं वस्तुएं आज तक मौजूद हैं. आज राष्ट्रपिता महात्मा गांधी की जयंती (Gandhi Jayanti 2023) है. साल 1929 में गांधी जी डांडी यात्रा के लिए नैनीताल आए थे. उस समय की एक तस्वीर महात्मा गांधी के हस्ताक्षरों के साथ संग्रहालय में मौजूद है.
जब 1929 में डांडी मार्च के दौरान महात्मा गांधी का आगमन नैनीताल में हुआ था, तो एक अपार जन सैलाब उनके साथ सड़कों में निकल पड़ा था. उस समय की तस्वीरें भी संग्रहालय में मौजूद हैं. वहीं इतिहास विभाग के प्रोफेसर और प्रसिद्ध इतिहासकार डॉक्टर शेखर पाठक ने संग्रहालय को गांधी जी की डांडी यात्रा के दौरान की तस्वीर महात्मा गांधी के हस्ताक्षरों के साथ डोनेट की है, जो वर्तमान में संग्रहालय में मौजूद है.
कभी असेंबली हॉल में होती थी शादियां
हिमालय संग्रहालय के क्यूरेटर डॉक्टर भुवन चन्द्र शर्मा ने बताया कि ब्रिटिश काल में असेंबली हॉल में बेलोजली गर्ल्स स्कूल था. उस समय जो भी ब्रिटिश स्कूल होते थे, उनके अपने निजी गिरिजाघर (चैपल) होते थे. उन चैपलों में प्रार्थनाएं और शादियां होती थीं, जिनके साक्ष्य आज भी म्यूजियम में मौजूद हैं. आज भी विदेशों से लोग इस म्यूजियम में पुरानी यादें ताजा करने आते हैं. कुछ समय पहले ही न्यूजीलैंड से आए एक ब्रिटिश युवक ने बताया कि 1936 में उनके माता पिता की शादी यहां हुई थी.
ऐतिहासिक भवन की छत उल्टी नाव के आकार की
हिमालय संग्रहालय के ऐतिहासिक भवन का निर्माण ब्रिटिश काल में गौथिक शैली में किया गया था. उल्टी नाव के आकर की बनी इस भवन की छत में गौथिक शैली की झलक साफ नजर आती है, जो इसकी खूबसूरती में चार चांद लगा देती है. वहीं इस संग्रहालय में उत्तराखंड के समृद्ध इतिहास को समेटे कुषाण कालीन स्वर्ण मुद्राएं भी संभाल कर रखी गई हैं. इस मुद्राओं में ग्रीक लिपि में वासुदेव लिखा गया है, जो कुषाण कालीन राजा वासुदेव प्रथम के सोने के सिक्के हैं.
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FIRST PUBLISHED : October 2, 2023, 20:26 IST