आज भी पहली बनी हुई है गोदावरी की यह गुफा, अंदर शिवलिंग होने का दावा

विकास कुमार/चित्रकूट. उत्तर प्रदेश के जिला चित्रकूट की पावन धरती में भगवान श्रीराम ने माता सीता के साथ वनवासकाल के साढ़े 11 साल व्यतीत किये थे. यह जगह आस्था का केंद्र तो है ही साथ ही उसके पीछे रहस्य भी बहुत हैं. ऐसे ही कुछ रहस्यों में से एक है गुप्त गोदावरी में निकली तीसरी गुफा. जहां प्रतिदिन यहां लाखों श्रद्दालु अपनी मुराद की पूर्ति के लिए इस तपोभूमि पर माथा टेकने के लिए पहुंचते हैं.

दरअसल, मान्यता है कि यूपी-एमपी की सीमा में बसे गुप्त गोदावरी में जन-जन के आराध्य प्रभु श्रीराम ने माता जानकी और भाई लक्ष्मण के साथ वनवासकाल का लंबा वक्त गुज़ारा था. वहीं, इस गुफा से निकलने वाली जलधारा पर माता सीता स्नान ध्यान करती थीं. हालांकि, इस गोदावरी में 2 गुफाएं तो गूगल और विकिपीडिया में भी दर्ज हैं, लेकिन इस गोदावरी की हाल ही में एक और गुफा निकल आई है जिसके बाद यहां रहस्य और अध्यात्म को देखने के लिए भक्तो का तांता उमड़ रहा है.

तीसरी गुफा में नहीं फूटा पानी का श्रोत
बताते चलें कि इस तीसरी गुफा में अभी पानी का श्रोत तो नही फूटा है, लेकिन अंदर ही अंदर यह गुफा गुप्त गोदावरी से जुड़ी हुई है. गुफा के समीप रहने वाले व श्रद्धालुओं की मानें तो इस गुफा के अंदर शिवलिंग और गणेश जी की मूर्ति भी है, लेकिन गुफा सकरी होने के लिहाज से मंदिर तक पहुचना बेहद मुश्किल भरा है. इस गुफा में सांप के साथ ही साथ अन्य जहरीले जीव रहते हैं.

घाटों और पर्वतो में सबसे खास है गुप्त गोदावरी
चित्रकूट में स्थित दिगम्बर अखाड़ा के महंत दिव्य जीवन दास ने बताया कि जब प्रभु श्रीराम जी ने यहां निवास करते थे तब प्रभु श्रीराम गुप्त गोदावरी की पहली गुफा में निवास किया. इस गुफा में प्रवेश का रास्ता बहुत छोटा है. शहर मुख्यालय से 25 किलोमीटर की दूरी पर विंध्य पर्वतमाला में दो गुफाओं में से दो जल-धाराएं फूटती हैं. ऊपर की गुफा का जल एक कुंड में गिरता है उसे सीता कुंड कहते हैं. दूसरी गुफा कुछ नीचे है, इस गुफा में एक जलधारा प्रवाहित होती है. गुफा संकरी होती हुई बंद हो जाती है. जहां गुफा बंद होती है वहीं से पानी आता है और कुछ दूर बहने के बाद वह जल एक पीपल के वृक्ष के पास पहुंचकर गुप्त हो जाता है, इसलिए इसे गुप्तगोदावरी के नाम से पुकारा जाता है.

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