राज कुमार सिंह/वैशाली. बिहार के वैशाली जिला मुख्यालय के हाजीपुर शहर में प्रसिद्ध बाबा पातालेश्वर नाथ महादेव का मंदिर है. पातालेश्वर नाथ शिवलिंग की लंबाई कितनी है, इसका अंदाजा किसी को भी नहीं है. मान्यता है कि धरती से लेकर पाताल तक शिवलिंग मौजूद है. यही कारण है कि इन्हें पातालेश्वर नाथ कहते हैं. नगर की काल से रक्षा करने के कारण इन्हें नगर महादेव की भी उपाधि मिली हुई है. मान्यता है कि बिहार में सबसे पहले शिव बारात की शुरुआती यहीं से हुई थी. आज भी सबसे बड़ा शिव बारात यहीं से निकलता है.
पाताल तक है शिवलिंग
मंदिर के मुख्य पुजारी प्रशांत तिवारी बताते हैं कि सन 1857 के कालखंड में एक दिन एक किसान हल लेकर खेत जोतने आया. इस दौरान हल का अगला भाग मिट्टी में फंस रहा था. तमाम प्रयास के बाद भी हल आगे नहीं बढ़ रहा था. फिर कुदाल से खुदाई की गई तो किसान ने वहां एक पत्थर देखा. और खुदाई करने पर जमीन से पानी निकलने लगा. इस बीच शाम होने के कारण किसान घर चले गए.
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सुबह में जब गांव के लोगों के साथ वे खेत आए तो देखा कि वहां एक नाग भी है. साथ ही पत्थर का शिवलिंग भी था. अरघ के पास होल बना था, जिसमें से पानी बाहर निकल रहा था. मुख्य पुजारी आगे बताते हैं कि एक तांबे के सिक्के में धागे की रिल बांधकर सिक्के को नीचे डाला गया. सिक्का बैठा नहीं, नीचे गिरता चला गया. इससे अंदाजा लगाया है कि शिवलोग पाताल तक है. इस कारण से इन्हें पातालेश्वर महादेव कहा जाता है.
बाबा की भक्ति से अकाल में हुई झमाझम बारिश
मुख्य पुजारी प्रशांत तिवारी बताते हैं कि एक बार पूरे बिहार में अकाल पड़ा था. अनाज के लिए त्राहिमाम मचा हुआ था. इसके बाद पूरे नगर के लोगों ने विचार किया कि नगर के कल्याण के लिए प्रभु की शरण में जाना चाहिए. भक्तों ने नारायणी के श्रीघाट से मानव श्रृंखला बनाई और केला का बीट लगाकर उसके ऊपर से जल डालना शुरू किया.
इस प्रकार से बहुत सारा जल आता रहा. इसके करीब 3 घंटे के बाद आसमान में बादल छाने लगा. इसे देख भक्तगण बाबा का जयकारा लगाने लगे. वे बताते हैं कि पूरे बिहार में पातालेश्वर बाबा का नाम है. यह मनोकामना पूरी करने वाले शिवलिंग के रूप में जाने जाते हैं. इन्हें नगर महादेव भी कहते हैं.
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FIRST PUBLISHED : November 1, 2023, 15:46 IST