वसीम अहमद/अलीगढ़. उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा एक शासनादेश के जरिए प्रदेश के सभी जिलों के लिए नया गजेटियर तैयार करने का आदेश दिया गया है. जिसमें अलीगढ़ का नाम भी शामिल है. अलीगढ़ का अंतिम गजेटियर 1909 में तैयार किया गया था. आपको जानकर हैरानी होगी कि ब्रिटिश शासन काल में अलीगढ़ जिले में बड़े पैमाने पर नील की खेती कराई जाती थी, उस समय नील की खेती बड़ी ही मूल्यवान समझी जाती थी. बता दें कि 1817 में अंग्रेजो के लिए नील बेहद जरूरी उत्पाद था क्योंकि उनके द्वारा स्थापित की गई कॉटन मिल्स के लिए आवश्यक वस्तु थी. यहां तक की आलम यह था कि अंग्रेजों द्वारा नील की खेती किसानों से जबरन कराई जाती थी.
जानकारी देते हुए अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय के इतिहास विभाग के प्रोफेसर एम.के. पुंडीर बताते हैं कि जब कोई कपड़े बनाता है तो उसको कलर करने के लिए डाय की जरूरत पड़ती है और बिना नील के पाउडर के डाई के उन कपड़ों पर कलर नहीं हो सकता. 19वीं शताब्दी के लास्ट क्वार्टर में सिंथेटिक नील का आविष्कार हुआ. इसके बाद हमें कभी भी नील की खेती की जरूरत नहीं पड़ी. इससे पहले अलीगढ़ जिला के जलाली में नील की भट्ठीयां लगाई गई थी. जहां बड़ी मात्रा में नील की (नील का पौधा) पैदावार होती थी. नील का जो पौधा लगाया जाता था उसको निकाल कर बड़े-बड़े हॉज में डाल दिया जाता था जिसको लंबे समय के लिए छोड़ दिया जाता था. जिसके बाद वह पॉडर में तब्दील हो जाता था. आपको जानकर हैरानी होगी कि नील के पौधे का कलर नीला नहीं होता था लेकिन उसी से नीला रंग बाकी सारे कलर तैयार किए जाते थे.
ऐसे बनता था नील का पॉडर
प्रोफेसर एम.के.पुंडीर बताते हैं कि जो नील की भट्ठीयां होती थी. उसमें पांच- पांच ऊपर टैंक लगते थे जिन टंकियां में नील के पौधे को डालकर पौधे को गला दिया जाता था और जो उसे अर्क निकलता था उसको नीचे बनी भट्ठियों में डाल दिया जाता था. इसके बाद उसे एक लिक्विड की फॉर्म में तैयार किया जाता था और धीरे-धीरे लिक्विड उड़ जाया करता था और पाउडर की शक्ल में नील रह जाता था. नील बनाने का यही एक प्रोसीजर था.
नील बनाने के साक्ष्य भी मौजूद
साथ ही इसका एक दुष्प्रभाव भी था कि जिस जगह नील की खेती की जाती थी और नील का पौधा उगाया जाता था तो अगले 3 साल बाद वह जमीन बंजर हो जाती थी. इस वजह से भी उस समय के किसान नील की खेती करना पसंद नहीं करते थे जिसके लिए अंग्रेज जबरन किसानों से नील की खेती कराया करते थे. हमारे द्वारा जब नील की भट्ठीयों पर सर्वे किया गया तो अलीगढ़ जिले में 52 नील की भट्ठियों के अवशेष मिले जो ब्रिटिश शासन काल के दौरान के थे. तो इस बात से यह प्रमाणित होता है कि अंग्रेजों द्वारा अलीगढ़ में नील की खेती कराई जाती थी और यहां से नील प्राप्त कर अपने साथ ले जाते जाते थे.
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FIRST PUBLISHED : December 9, 2023, 10:43 IST