आजादी से पहले की है बिहार रणजी क्रिकेट टीम, धौनी ने पहला शतक इसी टीम से लगाया

मनीष वत्स/पटना. बिहार की राजधानी पटना के मोइनुल हक स्टेडियम में 5 जनवरी से बिहार और मुंबई की टीमें रणजी ट्रॉफी एलीट ग्रुप बी में भिड़ रहे हैं. इस मुकाबले के लिए मुंबई की टीम पहले से घोषित थी, जबकि बिहार के दो सीनियर अधिकारियों की ओर से दो टीमों की घोषणा की गई थी. मुकाबले से एक दिन पहले यह साफ हो पाया कि कौन सी टीम मुंबई के खिलाफ खेलेगी. झारखंड के अलग होने के बाद बिहार में पिछले 23 सालों से क्रिकेट पर राजनीति हावी है. वर्षों से पेंच फंसता रहा है. बोर्ड की राजनीति की वजह से कई होनहार क्रिकेटरों का नसीब ही नहीं खुला. यही कारण है कि जो खिलाड़ी सक्षम हो पाए, उन्हें तो दूसरे राज्यों से खेलने का मौका मिल गया. पर, कइयों का करियर रणजी से पहले ही डूब गया.

कीर्ति झा आजाद, सबा करीम, महेंद्र सिंह धौनी, ईशान किशन, मुकेश कुमार, पृथ्वी शॉ….बिहार की माटी से जुड़े ये ऐसे नाम हैं, जिन्होंने अंतरराष्ट्रीय क्रिकेट में भारत का झंडा बुलंद किया और कर रहे हैं. इनमें से ज्यादातर का दूसरे राज्यों के क्रिकेट संघ ने स्वागत किया. आप सिर्फ यह ख्याल कर खुश हो सकते हैं कि ईशान किशन, मुकेश कुमार जैसे खिलाड़ी हमारी माटी के हैं.

30 साल बाद उपविजेता बनी थी बिहार टीम
बिहार की टीम आजादी से 11 पहले 1936 से रणजी खेल रही है. 1943 तक बिहार ने सभी मैच बंगाल के खिलाफ ही खेले. झारखंड की टीम बनने से पहले तक बिहार की टीम ने 1936-37 से 2003-04 तक 236 प्रथम श्रेणी मैच खेले. जिनमें 78 में जीत और 56 में हारी. जबकि, 102 मैच ड्रा रहे थे. पहली बार 1975-76 में बिहार टीम फाइनल में पहुंची थी. तब दलजीत सिंह बिहार रणजी टीम के कप्तान थे. वे विकेटकीपर बल्लेबाज थे. दलजीत सिंह बीसीसीआई के पिच समिति के अध्यक्ष भी रह चुके हैं. साथ ही राहुल द्रविड़, अनिल कुंबले, वेंकटेश प्रसाद और जगावल श्रीनाथ को प्रशिक्षण भी दे चुके हैं.

यहां हुआ था बिहार में पहला रणजी मैच
बिहार को पहले रणजी मैच की मेजबानी आज से 65 साल पहले वर्ष 1958 में मिली थी. तब बिहार के सामने बंगाल की टीम थी. इस मैच में बंगाल की टीम ने बिहार को एक पारी और 26 रन से हरा दिया था. यह मैच पटना के ऐतिहासिक गांधी मैदान में ही जनवरी में खेला गया था. उस वक्त वहां बापू की मूर्ति नहीं थी. बीच मैदान में चारों तरफ झंडे लगाकर 65 गज की बाउंड्री बनाई गई थी. मैदान के किनारे बैठकर लोगों ने मैच देखा था. अगले साल गांधी मैदान में दोबारा रणजी का मैच हुआ. लेकिन, इस बार बिहार ने ओडिशा को आठ विकेट से हराया. इसके बाद फिर कभी यहां रणजी मैच का आयोजन नहीं हुआ, क्योंकि 1968 में मोइनुल हक स्टेडियम बन गया. तब से लेकर अब तक मोइनुल हक स्टेडियम में ही रणजी मुकाबले हो रहे हैं.

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बिहार से खेलते हुए धोनी ने लगाया था पहला शतक
बहुत कम लोग जानते हैं कि 2011 वर्ल्ड कप विजेता टीम के कप्तान रहे महेंद्र सिंह धौनी ने रणजी करियर की शुरुआत बिहार टीम से ही की थी. बिहार के लिए उन्होंने 23 मैच खेला था. धौनी ने जब 1999 में रणजी खेलना शुरू किया, तो बिहार का विभाजन हो चुका था और वे झारखंड जा चुके थे. हालांकि, तब से लेकर 2003-04 सत्र तक झारखंड की टीम बिहार के नाम पर खेलती थी. धौनी उस टीम का हिस्सा रहे थे.

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साल 2000 में बिहार की ओर से धौनी ने अपने रणजी करियर का पहला नाबाद शतक (114 रन) कोलकाता में बंगाल टीम के खिलाफ बनाया था. 2005 में बिहार को दरकिनार कर बीसीसीआई ने झारखंड को पूर्ण मान्यता दे दी, तो वे अपने राज्य की टीम की ओर से खेलने लगे.

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