Aiadmk bjp alliance end: तमिलनाडु में भाजपा और एआईएडीएमके (ऑल इंडिया अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कड़गम) की राहें अलग हो चुकी हैं। जिसके बाद अब एनडीए से एक और सहयोगी दल ने नाता तोड़ लिया है। एआईएडीएमके की ओर से इस बाबत 25 सितंबर को एलान कर दिया गया। एआईएडीएमके की ओर से कहा गया है कि राज्य में बीजेपी के नेता लगातार उनकी पार्टी पर कमेंट कर रहे थे। पार्टी के वरिष्ठ नेताओं और महासचिव एडप्पादी के खिलाफ टिप्पणियां की जा रही थी। जिससे कार्यकर्ताओं का मनोबल टूट रहा था। वहीं, तमिलनाडु भाजपा अध्यक्ष के अन्नामलाई के बयानों के बाद भी लग रहा था कि एआईएडीएमके गठबंधन तोड़ सकती है।
2024 के आम चुनाव से पहले इसे भाजपा के लिए झटका माना जा रहा है। इसके बाद भी बीजेपी अपने प्रदेशाध्यक्ष के अन्नामलाई के साथ खड़ी नजर आ रही है। विवादों का कारण आपको बता देते हैं। सबसे पहले अन्नामलाई ने द्रविड़ आइकन सीएन अन्नादुरई के खिलाफ प्रतिक्रिया दी थी। जिसके बाद एआईएडीएमके की ओर से उनको माफी मांगने को कहा गया था। वे नहीं माने तो उनके इस्तीफे की मांग भाजपा से की गई। लेकिन सहमति नहीं बन सकी। जिसके बाद दोनों दल अलग हो गए।
लंबे समय से दोनों में चल रहा था गतिरोध
एआईएडीएमके ने तमिलनाडु में पार्टी मुख्यालय में बैठक के बाद गठबंधन तोड़ने का एलान किया। पार्टी ने कहा कि एआईएडीएमके पर लगातार भाजपा नेता कमेंट कर रहे थे। जिसके बाद सर्वसम्मति से अलग होने का फैसला लिया गया। अब सभी संबंध बीजेपी और राजग से टूट गए हैं। एआईएडीएमके के नेता पी मुनुसामी ने कहा कि लंबे समय से महासचिव एडप्पादी के पलानीस्वामी के खिलाफ भाजपा नेता टिप्पणी कर रहे थे।
हालांकि प्रस्ताव में किसी का नाम नहीं है। लेकिन कहा गया है कि सीएन अन्नादुरई और दिवंगत मुख्यमंत्री जे जयललिता को बदनाम करने की कोशिश भाजपा के राज्य नेतृत्व की ओर से की गई है। 11 सितंबर को भाजपा नेता अन्नामलाई ने भी 11 टिप्पणी की थी। उन्होंने आरोप लगाया था कि 1956 में एक प्रोग्राम के दौरान अन्नादुरई ने हिंदू धर्म का अपमान किया था। ये कार्यक्रम मदुरै में हुआ था। जिसके बाद उनको छिपना पड़ा था। लेकिन माफी मांगने के बाद वे यात्रा कर पाए थे।
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जान लीजिए टूट के खास कारण
- जिसके बाद अन्नामलाई ने माफी से इन्कार कर दिया था। कहा था कि भाजपा और एआईएडीएमके के बीच कोई दिक्कत नहीं है। उन्होंने किसी का अपमान नहीं किया, सिर्फ एक घटना का जिक्र किया था। लेकिन इसके अलावा भी कई कारण थे, जिससे गठबंधन टूटा।
- एआईएडीएमके को अन्नामलाई से दिक्कत थी। वह इनको विरोधी मान रही थी। इससे पहले जो अध्यक्ष थे, वे एआईएडीएमके की पसंद थे। एआईएडीएमके को लगता था कि वे गठबंधन धर्म का पालन करते हैं।
- एआईएडीएमके को लगता था कि अन्नामलाई पहले से ही गठबंधन के फेवर में नहीं थे। उनका मानना था कि अकेले लड़ने में ही भलाई है। चाहे टाइम लग जाए। निकाय चुनाव भी वे अकेले लड़ने के मूड में थे।
- मामला इरोद ईस्ट बाई इलेक्शन से जुड़ा है। एआईएडीएमके को लगा कि अन्नामलाई ने ईपीएस और ओपीएस गुट से बात करके उनके मामले में हस्तक्षेप किया। दावा किया था कि वे एआईएडीएमके को संयुक्त मोर्चा बनाना चाह रहे थे।
- एआईएडीएमके को लगा कि अन्नामलाई खुद को विपक्षी नेता के तौर पर स्थापित करने की सोच रहे थे। इसके चलते ही वे भाजपा को आक्रामक विपक्षी दल बनाने की सोच रहे थे। जिसके कारण एआईएडीएमके पर हमलावर हुए।
- तनाव जब और बढ़ा, तब बीजेपी आईटी विंग के निर्मल कुमार बीजेपी छोड़ एआईएडीएमके में चले गए। कई और पदाधिकारी भी चले गए थे।
- एआईएडीएमके पर भी अन्नामलाई ने भ्रष्टाचार को लेकर निशाना साधा था। कहा था कि वे डीएमके ही नहीं, तमिलनाडु में सबकी करतूतें उजागर करेंगे।
- अन्नामलाई ने कई पूर्व मुख्यमंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोप लगाए थे। एआईएडीएमके ने इस जयललिता पर निशाना मानते हुए इसे अपमान के तौर पर लिया था। जिसके बाद अन्नामलाई के खिलाफ प्रस्ताव लाया गया था।
- लगातार अन्नामलाई की ओर से हमला होने के कारण बीजेपी और एआईएडीएमके में दूरियां बढ़ गई थीं।
- पूर्व मुख्यमंत्री और प्रतिष्ठित द्रविड़ आइकन सीएन अन्नादुराई के खिलाफ एआईएडीएमके ने अन्नामलाई की टिप्पणियों को सीरियस लिया। माफी नहीं मांगना भी टूट का कारण रहा।
- अन्नामलाई ने एनडीए के सीएम चेहरे के तौर पर ईपीएस के समर्थन से इन्कार कर दिया था। जबकि अन्नाद्रमुक के वरिष्ठ नेता सेलुर राजू ने बीजेपी से ईपीएम के समर्थन को लेकर खुली बात कही थी। अन्नामलाई ने पूरा मामला आलाकमान के पाले में डाल दिया था।
- एआईएडीएमके के नेता अन्नामलाई की टिप्पणियों के बाद भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा से भी दिल्ली में मिले थे। केंद्रीय मंत्री पीयूष गोयल से भी कार्रवाई की मांग की थी। लेकिन उनकी कोई डिमांड सिरे नहीं चढ़ पाई थी।