आंखों के इलाज को अब नहीं लगानी पड़ेगी हायर सेंटर की दौड़, गोपेश्वर के अस्पताल में लगीं 35 लाख की 2 मशीनें

सोनिया मिश्रा/ चमोली. उत्तराखंड के पर्वतीय जिलों में स्वास्थ्य संबंधी कई दिक्कतें हमेशा से ही रही हैं. कभी डॉक्टर्स की कमी बनी रहती है, तो कभी मशीनों की, लेकिन धीरे-धीरे पहाड़ों में स्वास्थ्य व्यवस्था दुरुस्त होती दिखाई दे रही है. इसके लिए जहां नर्सिंग स्टाफ के बैकलॉग को खत्म कर नई नियुक्ति पत्र दिए गए हैं, तो वहीं जिले के अस्पतालों में नई नई मशीनें लगाई जा रही हैं. इसी क्रम में चमोली के जिला अस्पताल गोपेश्वर में आंखों के इलाज के लिए 35 लाख रुपये की लागत से नई तकनीक की दो मशीनें लगाई गई हैं. मशीन के लगने से जिले के दूरस्थ इलाकों के ग्रामीणों को हायर सेंटर की दौड़ नहीं लगानी पड़ेगी. साथ ही इससे उनके समय के साथ पैसों की भी बचत होगी.

आईसीआईसीआई फाउंडेशन ने आंखों के उपचार के लिए जिला अस्पताल को नई टेक्नोलॉजी से लैस ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप और याग लेजर मशीन उपलब्ध करा दी है और इसका जिले में शुभारंभ भी हो गया है. चमोली के जिलाधिकारी हिमांशु खुराना ने कहा कि केंद्र और राज्य सरकार द्वारा सीमांत क्षेत्रों में स्वास्थ्य सुविधाओं को बेहतर बनाने के लिए लगातार प्रयास किया जा रहे हैं. आईसीआईसीआई फाउंडेशन द्वारा जिला अस्पताल को नेत्र रोग के इलाज में मददगार नई तकनीकी मशीन मुहैया कराई गई हैं, जिसका निश्चित रूप से चमोली के लोगों फायदा मिलेगा. साथ ही उन्होंने फाउंडेशन की प्रशंसा करते हुए शिक्षा को आगे बढ़ाने में सहयोग की अपेक्षा की.

आंखों के इलाज में याग लेजर मशीन और ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप मशीन उपयोगी

जिला अस्पताल के नेत्र विशेषज्ञों ने बताया कि आंख में मोतियाबिंद हटाने के कुछ महीने बाद लेंस के पीछे झिल्ली बन जाती है. इस झिल्ली को हटाने के लिए लोगों को दूरदराज शहरों में जाना पड़ता था लेकिन अब याग लेजर मशीन लग जाने से इसका उपचार जिला अस्पताल में ही हो सकेगा. इससे आंखों के रोगियों का समय बचने के साथ बेहद कम खर्च में उनका इलाज हो जाएगा. इसके अलावा इस मशीन की मदद से लीक हो रही रक्त वाहिकाओं को सेल करना, आंखों में दबाव कम करना, कॉर्निया को बदलना और आइरिस का हिस्सा हटाना जैसी कई प्रकार की दिक्कतों का इलाज हो सकेगा, जबकि ऑपरेटिंग माइक्रोस्कोप या सर्जिकल माइक्रोस्कोप विशेष रूप से सर्जिकल सेटिंग में उपयोग करने के लिए डिजाइन किया गया है, जिससे आंखों की सर्जरी के दौरान सर्जन को बेहतर सुविधा मिलेगी.

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