जितेन्द्र कुमार झा/लखीसराय. मंजिल उन्हीं को मिलती है जिनके सपनों में जान होती है, पंख से कुछ नहीं होता हौसलों से उड़ान होती है. इस पंक्ति को आपने कभी न कभी जरूर सुना होगा. कुछ लोग ऐसे भी हैं जिन्होंने सच में बिना पंखों के भी आसमान में ऊंची उड़ान भरी है. ऐसी ही एक कहानी लखीसराय जिला के चांदन प्रखंड से सामने आया है. जहां दिव्यांग होने के बावजूद सतीश कुमार ने कंबाइंड ग्रेजुएट लेवल-2022 में सफलता अर्जित की है. सतीश कुमार ने अपनी उपलब्धि से जिले वासियों का सीना गर्व से चौड़ा कर दिया है. बता दें कि सतीश कुमार दृष्टिबाधित है.
सतीश कुमार ने बताया कि बचपन से ही पढ़ाई का बहुत शौक था और सामान्य जीवन जी भी रहे थे, लेकिन सितंबर 2019 में एक काली रात ने सब कुछ बदल कर रख दिया. अचानक तबीयत खराब हो गई और सब कुछ खत्म हो गया. उन्होंने बताया कि गंभीर बीमारी के कारण दोनों आंखों को खोना पड़ा.
ब्रेन ट्यूमर को दी मात
विपत्ति ऐसी आई कि ब्रेन ट्यूमर तक हो गया. उसके बार सिर की चार बार सर्जरी हुई. विपरीत परिस्थित में भी धैर्य को नहीं खोया और हिम्मत बनाए रखा. कहते हैं न कि सपने वह नहीं जो नींद में देखे जाते हैं बल्कि स्वप्न वह है जो रातों की नींद उड़ा दे. नौकरी की ललक और कुछ कर गुजरने के चाहत के कारण सभी विपत्तियों को बौना साबित कर दिया. सतीश कुमार ने बताया कि 2022 में सीजीएल की परीक्षा में परचम लहराते हुए अपने परिवार का नाम रोशन कर दिया.
यूपीएससी टॉपर सम्यक जैन को बताया आदर्श
सतीश कुमार ने बताया कि जब भी मन में नकारात्मकता का भावना आती थी तो एक बार यूपीएससी टॉपर सम्यक जैन की जिंदगी को याद कर लेते थे. उनकी जिंदगी की कहानी से बहुत कुछ सीखने को मिलती है. उन्होंने बताया कि मन में एक ही ख्याल रहता था कि जब सम्यक जैन इतनी विपत्ति के बाबजूद टॉप कर सकते हैं तो वह क्यों नहीं. इसी जज्बे के साथ तैयारी में वह जुट जाते थे.
कई बार भूखे सोना पड़ा
सारथी के रूप में मां हमेशा साथ खड़ी रहती थी. उन्होंने अपने संघर्ष के बारे में बताया कि कभी-कभी परिस्थिति इतनी दयनीय हो जाती थी कि दो-दो दिन भूखे रहना पड़ता था. सतीश ने बताया कि तमाम विपत्तियों के बावजूद ईश्वर का शुक्रगुजार हैं. ईश्वर ने इतना कुछ दिया है कि देश और अपने जिला का नाम रोशन कर सकते हैं.
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FIRST PUBLISHED : September 28, 2023, 09:48 IST