अहिल्या नगरी राममय; बाजार में उछाल, व्यापारियों के पास जमकर आ रहे ऑर्डर, जानें माजरा

राहुल दवे/ इंदौर. 22 जनवरी 2024 की तारीख देश के इतिहास में एक गौरवशाली दिवस के रूप में स्वर्ण अक्षरों से लिखा जाएगा. इस दिन की गाथा सालों तक सुनाई जाती रहेगी. इस दिन को उत्सव के रूप में मनाने को लेकर पूरे देश में जोरदार तैयारियां की जा रही हैं.

वहीं मां अहिल्या की नगरी मप्र का इंदौर भी राममय होने के लिए तैयार हो रहा है. पूरे शहर में जगह-जगह पर प्रमुख बाजारों में भगवान झंडों की दुकानें सज गई हैं. व्यापारियों के पास इन झंडों के जमकर ऑर्डर भी आ रहे हैं. हालात ये हैं कि कारीगर दिन-रात मेहनत करके झंडे तैयार करने में जुटे हैं और पूर्ति की जा रही है.

कम पड़ रहा भगवा कपड़ा
22 जनवरी को लेकर इंदौर के बाजारों में उछाल देखने को मिल रहा है. पूजा सामग्री, झंडे, लाइट, मूर्तियां सजावट के उत्पाद, केसरिया वस्त्र और मिट्टी के बर्तनों की मांग लगभग दोगुनी हो गई है. वहीं सिलाई के लिए कारीगरों को भगवान राम और अयोध्या मंदिर के प्रतीकों के साथ झंडे सिलने के ऑर्डर आ रहे हैं. इसकी वजह से शहर में भगवा रंग का कपड़ा कम पड़ने लगा है.

केसरिया टोपी, कपड़ों की भी मांग
पूरा शहर राममय होकर भगवान की भक्ति में डूब जाने को आतुर है. शहर में इन दिनों केसरिया कपड़े, टोपी और झंडों की डिमांड चरम पर है. कपड़े सिलने, मूर्तियों को पॉलिश करने और लाइट लगाने में लगे वर्कर्स को भी ऑर्डर मिल रहे हैं.

तीन से लेकर दस फीट तक के झंडे
केसरिया झंडे तीन से लेकर दस फीट तक के मिल रहे हैं, जिन पर भगवान श्रीराम का फोटो अंकित है, वहीं कुछ पर हनुमानजी तो कुछ पर मांग अनुसार अयोध्या का मंदिर छापा गया है. साथ ही केसरिया दुपट्टे भी बहुतायत में बिक रहे हैं.

दिन-रात बना रहे
इंदौर के छत्रीपुरा पुल के पास वर्षों से झंडों की दुकानें संचालित हो रही है. यहां के दुकानदारों का कहना है कि 15 अगस्त, 26 जनवरी और चुनावी मौसम के अलावा ऐसा पहली बार हो रहा है कि हमारे शहर के अलावा बाहर से भी आर्डर आ रहे हैं. सभी एक केसरिया रंग के झंडों, दुपट्टे, टोपी और अन्य सामग्रियों की मांग है. पहले से इसका अंदाजा नहीं था, इसके चलते केसरिया कपड़ा बाहर से मंगवाना पड़ रहा है.

कपड़े की हो गई कमी
एक व्यापारी ने बताया कि दो दिनों के भीतर 10,000 से अधिक झंडे और कपड़े बेचे हैं. इन चीजों की मांग लाखों में है, जिसे पूरा करना चुनौतीपूर्ण हो रहा है. झंडे, टोपी और जैकेट बनाने के लिए केसरिया कपड़े की कमी हो गई है. सूरत और गुजरात के आपूर्तिकर्ताओं के पास स्टॉक खत्म हो गया है.

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