अस्थमा-पायरिया दोनों को कंट्रोल कर सकती है ये आसानी से उपलब्ध औषधि, आप भी करें सेवन?

संजय यादव/बाराबंकी : आयुर्वेद दुनिया की सबसे पुरानी चिकित्सा प्रणालियों में से एक है. इसकी उत्पत्ति भारत में हुई थी और इसका इतिहास 5,000 वर्षों से अधिक पुराना है. आयुर्वेद शब्द का अर्थ है “जीवन का विज्ञान”. आयुर्वेद के अनुसार स्वास्थ्य शरीर, मन और आत्मा के संतुलन में है. जब यह संतुलन बिगड़ जाता है, तो बीमारियां हो सकती हैं. हम आपको आज एक औषधि के बारे में बताने वाले हैं जिसके इस्तेमाल से आप शरीर में होने वाले कई रोगों से छुटकारा पा सकते हैं. दरअसल, हम बात कर रहे हैं तुलसी के पौधे की. इसकी पत्तियां व तना हमारे स्वास्थ्य के लिए बेहद ही फायदेमंद है.

भारतीय संस्कृति में तुलसी के पौधे का काफी महत्व है. घर के आंगन में तुलसी का पौधा लगाना और इसकी पूजा करना बेहद शुभ माना जाता है. औषधीय गुणों से भरपूर तुलसी के पत्ते सेहत के लिए बेहद फायदेमंद होते हैं. यह हमें अस्थमा, खांसी, एलर्जी, पायरिया, पेशाब में जलन, पथरी पेट में दर्द जैसी कई गंभीर बीमारियों से निजात दिलाता है.

पायरिया की समस्या जड़ से होगी खत्म
जिला अस्पताल बाराबंकी के चिकित्सक डॉक्टर अमित वर्मा (एमडी मेडिसिन) ने बताया कि वैसे तो तुलसी की पत्तियां व तना गुणों से भरपूर होता है. इसकी पत्तियां के साथ काली मिर्च लौंग का काढ़ा बनाकर पीने से अस्थमा, खांसी या एलर्जी ठीक हो जाती है. अगर आप पाचन संबंधी समस्याओं से परेशान है, तो तुलसी के पत्ते आपके लिए मददगार साबित होंगे. रोजाना खाली पेट तुलसी के पत्ते चबाने से एसिडिटी और पेट में जलन की समस्या दूर होती . वहीं जिन लोगों के मुंह से दुर्गंध आती है या पायरिया की समस्या है. ऐसे में रोजाना सुबह तुलसी के पत्तों का सेवन करने से मुंह के बैक्टीरिया खत्म हो जाते हैं, जिससे सांस की बदबू की समस्या भी दूर होती है.

डायरिया समेत इन बीमारियों के लिए अचूक दवा
डॉ.अमित वर्मा ने बताया कि इसके अलावा जिन लोगों को डायरिया की वजह से पेट में दर्द होता है तो उन्हे तुलसी की पत्तियों का सेवन करना चाहिए. साथ ही साथ जिन लोगों को पेशाब में जलन होती है. उसमें यह शीतलता प्रदान करता है. तुलसी के पत्ते हमारे शरीर को डीटॉक्सिफाई करते हैं. इसमें मूत्रवर्धक गुण होते हैं जो शरीर में यूरिक एसिड के स्तर को कम करता है जो किडनी में पथरी बनने का मुख्य कारण होता है. यूरिक एसिड के लेवल में कमी से गाउट के रोगियों को भी राहत मिलती है.

Source link

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *