रोहित भट्ट/ अल्मोड़ा. पहाड़ी इलाकों में जंगली जानवरों का आतंक देखने को मिलता है और सबसे ज्यादा बंदर और कुत्तों का आतंक दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा है. कई बार बंदर लोगों के ऊपर हमला कर उन्हें जख्मी कर रहे हैं. उत्तराखंड के अल्मोड़ा में भी लगातार बंदरों का आतंक बढ़ रहा है, चाहे वह ग्रामीण क्षेत्र हो या फिर शहरी क्षेत्र. इनकी तादाद बढ़ती ही जा रही है. इसको देखते हुए अल्मोड़ा के वन विभाग ने बंदरों को पकड़ने का अभियान शुरू कर दिया है. अल्मोड़ा के रेस्क्यू सेंटर में बंदरों को पकड़ के लाया जा रहा है इसके बाद इन बंदरों का बंध्याकरण (नसबंदी) किया जा रहा है.
दरअसल, कटखने बंदर छोटे बच्चों से लेकर बड़े लोगों के ऊपर आए दिन हमला कर रहे हैं, जिस कारण से लोग घायल हो रहे हैं. अल्मोड़ा के सिविल सोयम वन विभाग के द्वारा बंदरों को पकड़ने का अभियान शुरू किया है. विभाग ने तीन डिवीजन से बंदर पकड़ने का काम शुरू किया. अल्मोड़ा डिवीजन, सिविल सोयम डिविजन और पिथौरागढ़ डिविजन से बंदरों को पकड़कर लाया जा रहा है. जिसके बाद अल्मोड़ा के रेस्क्यू सेंटर में इन बंदरों का बंध्याकरण किया जा रहा है और उसके बाद इन्हें जंगल में छोड़ा जाएगा. अभी तक वन विभाग ने 1765 बंदर पकड़े हैं, जिन्हें रेस्क्यू सेंटर में रखकर उनका बंध्याकरण किया जा रहा है.
3000 बंदरों को पकड़ने का लक्ष्य
वन क्षेत्रधिकारी आशुतोष जोशी ने बताया कि बंदरों को पकड़ने का अभियान विभाग के द्वारा किया जा रहा है. तीन डिवीजन के बंदरों को पकड़ा जा रहा है. वन विभाग ने इससे पहले भी कई बंदरों को पकड़ा था, जिनकी नसबंदी की गई थी. फिर से अभियान शुरू किया गया है और इस बार 3000 बंदरों को पकड़ने का लक्ष्य मिला है. अभी तक 1765 बंदर पकड़ लिए गए हैं और यह अभियान लगातार चलता ही रहेगा.
अल्मोड़ा व्यापार मंडल ने जताया आभार
अल्मोड़ा व्यापार मंडल के जिलाध्यक्ष सुशील साह ने कहा कि शहर में लगातार बंदरों का आतंक बढ़ता ही जा रहा है. छोटे बच्चों से लेकर बुजुर्गों के ऊपर कटखने बंदर हमला कर रहे हैं. वन विभाग के द्वारा पकड़े जा रहे बंदरों को लेकर सुशील साह ने धन्यवाद किया है. उन्होंने आगे कहा कि वन विभाग इन बंदरों को पकड़कर किसी दूर स्थान पर छोड़े, जिस कारण से वे दोबारा से शहरों या फिर ग्रामीण इलाके में ना आएं.
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FIRST PUBLISHED : November 3, 2023, 23:21 IST