अल्मोड़ा की रामलीला ही नहीं रावण परिवार के पुतले भी हैं खास, 90 साल पुराना हैं इतिहास

रोहित भट्ट/अल्मोड़ा. उत्तराखंड की सांस्कृतिक नगरी अल्मोड़ा अपनी ऐतिहासिक धरोहरों के लिए जाना जाता है. देखा जाए तो अल्मोड़ा का दशहरा देश भर में मशहूर है. यहां का दशहरा भारत में तीसरे नंबर पर आता है. पहला मैसूर, दूसरा कुल्लू मनाली और तीसरा अल्मोड़ा का दशहरा आता है. यहां के वरिष्ठ कलाकारों के साथ-साथ युवा कलाकार भी दशहरे में रावण परिवार के पुतलों को बनाते हैं. करीब एक महीने पहले से इन पुतलों को बनाने का काम शुरू किया जाता है. जिसमें दिन और रात में जागकर यहां के लोग इन पुतलों का निर्माण कार्य करते हैं.

दरअसल, अल्मोड़ा के दशहरे को देखने के लिए लोग दूर-दूर से यहां पहुंचते हैं. सबसे ज्यादा आकर्षण का केंद्र यहां पर बनने वाले रावण परिवार के पुतले रहते हैं. इन दिनों अल्मोड़ा में रावण परिवार के पुतलों को बनाने का काम शुरू हो गया है. अल्मोड़ा में दशहरा पर्व पर पुतले बनाने की परंपरा करीब 90 साल पुरानी मानी जाती है. शुरू में सिर्फ रावण का ही पुतला बनाया जाता था, लेकिन अब पिछले 20-30 सालों से दशहरा महोत्सव भव्य तरीके से मनाया जाता है. जिसमें अलग-अलग मोहल्ले के लोगों के द्वारा इन पुतलों का निर्माण कार्य किया जाता है. यहां के पुतले की खास बात ये रहती है कि इसमें क्राफ्ट वर्क भी देखने को मिलता है. यहां पर बड़े कलाकारों के साथ-साथ छोटे-छोटे बच्चे भी अपनी सहभागिता इसमें निभाते हैं. इसके अलावा युवा कलाकारों को भी इसमें कुछ न कुछ काम देकर उन्हें सिखाया जाता है. दिन और रात में ये लोग काम करते हुए भी नजर आते हैं.

थाना बाजार में होता है पुतलों का निर्माण
युवा कलाकार रोहित बिष्ट ने बताया कि जब बहुत छोटे थे तो बड़े कलाकारों के साथ उन्होंने भी पुतला बनाना शुरू किया था और आज वह खुद इन रावण परिवार के पुतले को बनाते हैं. थाना बाजार में बनने वाले पुतले का निर्माण वह और उनके साथी यहां पर कर रहे हैं. काफी अच्छा लगता है कि वह अपनी संस्कृति को आगे बढ़ा रहे हैं और यहां पर बच्चे भी आकर काम करते हैं.युवा कलाकार अदनान ने बताया वह भी बचपन से रावण परिवार के पुतले बना रहे हैं उन्हें काफी अच्छा लगता है कि वह इन पुतले को बना रहे हैं उन्होंने बताया है जब वो छोटे थे तो बड़ों से कुछ न कुछ सीखने को मिलता था. वह भी इन पुतले को बना रहे हैं और वह इस बार पुतले के फेस का निर्माण कर रहे हैं.

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FIRST PUBLISHED : October 8, 2023, 21:54 IST

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