अरविंद केजरीवाल को ED ने भेजा छठा समन, शराब घोटाले में पूछताछ के लिए बुलाया

अरविंद केजरीवाल को ED ने भेजा छठा समन, शराब घोटाले में पूछताछ के लिए बुलाया

नई दिल्ली:

दिल्ली के मुख्यमंत्री और आम आदमी पार्टी के नेता अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) को शराब घोटाले के मामले में ईडी ने पूछताछ के लिए एक बार फिर समन भेजा है. अरविंद केजरीवाल को ईडी को छठी बार समन भेजा गया है. गौरतलब है कि इस मामले में आम आदमी पार्टी के कई नेता पहले से ही जेल में हैं. केजरीवाल की सरकार में उपमुख्यमंत्री रहे मनीष सिसोदिया लंबे समय से जेल में हैं. वहीं राज्यसभा सांसद संजय सिंह भी जेल जा चुके हैं.

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CM केजरीवाल को ED ने कब-कब भेजा समन?

CM केजरीवाल को पहला समन – 2 नवंबर, 2023, दूसरा समन – 21 दिसंबर, 2023, तीसरा समन – 3 जनवरी, 2024, चौथा समन – 18 जनवरी, 2024, पांचवा समन -2 फरवरी, 2024 को भेजा गया था. तमाम समन को सीएम केजरीवाल ने ग़ैर क़ानूनी करार दिया था.

ईडी के कई समन के बाद भी केजरीवाल नहीं हो रहे हैं पेश

दिल्ली के सीएम अरविंद केजरीवाल ईडी के कई समन के बाद भी जांच एजेंसी के सामने पेश नहीं हो रहे हैं. हाल ही में इसे लेकर ईडी ने अदालत का दरवाजा खटखटाया था. ईडी ने कहा था कि केजरीवाल जानबूझकर समन पर नहीं आए.  इतने ऊंचे पद पर बैठे लोग अगर समन पर नहीं जाएंगे, कानून का पालन नहीं करेंगे  तो इससे गलत मैसेज जाता है. ED ने इस मामले में अब तक कुल से 14 लोगों को गिरफ्तार किया है. जिसमें संजय सिंह, मनीष सिसोदिया और विजय नायर जैसे लोग हैं. ईडी को अपनी जांच आगे बढ़ाने के लिए, प्रोसीड ऑफ क्राइम का पता लगाने के लिए, अन्य लोगों की भूमिका पता लगाने के लिए अरविंद केजरीवाल को समन देना जरूरी था.

क्या है दिल्ली शराब नीति मामला?

दिल्ली सरकार नवंबर 2021 में राजधानी के शराब विक्रेताओं के लिए एक नई नीति लेकर आई थी. नई नीति के तहत सरकारी दुकानों की बजाय शराब के स्टोर बेचने के लिए निजी पार्टियों को लाइसेंस के लिए आवेदन करने की परमिशन दी गई. दिल्ली सरकार का कहना था कि नई नीति लाने से शराब की कालाबाजारी रुकेगी, दिल्ली सरकार का राजस्व बढ़ेगा और ग्राहकों को फायदा होगा.  केजरीवाल सरकार की नई नीति में शराब की दुकानों को आधी रात के बाद भी खुले रहने की परमिशन दी गई. शराब विक्रेताओं को बिना किसी लिमिट के डिस्काउंट देने की भी परमिशन दी गई.  

क्यों उठे शराब नीति पर सवाल? 

  • थोक लाइसेंस धारकों का कमीशन बढ़ाकर 12% फ़िक्स किया गया था. 
  • बड़ी कंपनियों की मोनॉपोली बढ़ाने के आरोप लगे थे. 
  • शराब सरकारी दुकानें नहीं केवल निजी दुकानें बेचेंगी.
  • शराब दुकानदार भारी रियायत पर शराब बेच रहे थे.
  • पहले से ज़्यादा बड़ी दुकानें खुलीं, जिसके बाद विवाद की शुरुआत हुई.

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