अयोध्या में विवादित ढांचे पर एमपी के इस शख्स ने चलाया था पहला हथौड़ा 

अरविंद शर्मा/भिण्ड: राम मंदिर में 22 जनवरी को रामलला की प्राण प्रतिष्‍ठा के भव्‍य कार्यक्रम की तैयारी अंतिम चरण में चल रही है. खुद प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी समारोह में शामिल होने के लिए अयोध्‍या पहुंचेंगे. इस मंदिर के निर्माण के पीछे राम भक्तों ने कड़ा संघर्ष किया है. अपने जीवन का बलिदान दिया है. इसकी शुरुआत वर्षों पहले हुई और फिर 6 दिसंबर 1992 को बाबरी मस्जिद गिरा दी गई. बाबरी मस्जिद गिराने में चंबल के भिण्ड जिले के रहने वाले सुंदर पाल ने मस्जिद पर चढ़कर पहला हथौड़ा मारा था,

चंबल के भिण्ड जिले के छोटे से गांव बाराकला रहने वाले सुंदर पाल ने लोकल 18 से कहा कि साल 1992 में बाबरी मस्जिद को तोड़ने के लिए चंबल से दस के करीबन कार सेवक अयोध्या पहुंचे थे,जिसमें सबसे पहले मैंने ही कमर में घन हथोड़ा बांधकर रस्सी के सहारे से मस्जिद के ऊपर चढ़े थे. इसके बाद मस्जिद पर करीबन दो घण्टे से ऊपर हथौड़े हमने मारे थे. नीचे से आवाज आ रही थी कम समय में जल्दी काम करो और नीचे आओ. अन्य साथी थे,इसमें जिले का अलग-अलग काम में लगाए गए थे. हम सभी कार सेवक ने सुबह चार बजे तक ढांचा को पटक दिया था. इसके बाद अयोध्या में होली दीपावली एक साथ मनाई जाने लगी.

दीवाल पर क्या लिखा था
सुंदर पाल बताते हैं कि देश मे चाहे सीमा हो या बलिदान देने की बात हो चंबल क्षेत्र ही सबसे पहले आगे बढ़ता है. जब हम लोग अयोध्या पहुँचे थे तो वहां की मस्जिद पर सबसे पहले किसी ने यह लिख दिया था, कार सेवा होना है आगे भिण्ड मुरैना है. तो हमे गर्व होता है जब हमारे भिण्ड चंबल के नाम लोग देश मे लेते हैं.आज हमारे पास निमंत्रण आया है हमे खुशी है आज हमारे राम आ रहे हैं.

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