आज भगवान श्रीराम के मंदिर में उनकी प्रतिमा की प्राण प्रतिष्ठा की शुभ घड़ी आ गई है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस अवसर के यजमान होंगे. इस मौके पर 8000 मेहमान मौजूद रहेंगे. प्राण प्रतिष्ठा के बाद मंगलवार से इस मंदिर के कपाट आम लोगों के दर्शनार्थ खुल जाएंगे. श्रीराम और उनके मंदिर के बारे में आज चारों तरफ चर्चा है, मगर श्रीराम के परम मित्रों में से एक सुग्रीव को भी याद किया जाना चाहिए. वह इसलिए क्योंकि उनके नाम का एक किला अब भी अयोध्या में स्थित है.
कहानी काफी पुरानी है. मान्यताओं के अनुसार, जब भगवान राम वानर सेना के साथ लंका पर विजय प्राप्त करके वापस अयोध्या पहुंचे तो महाराजा भरत ने एक किला बनवाया. यह किला श्रीराम और उनके साथ आने वालों के स्वागत के लिए बनाया गया था. बताया जाता है कि यहीं पर सबका भव्य स्वागत हुआ. बाद में श्रीराम ने यह किला अपने परम मित्र सुग्रीव को सौंप दिया. तभी से यह किला सुग्रीव किला के नाम से जाना जाता है. धार्मिक मान्यता है कि यहां पर दर्शन करने आने वालों के सभी शत्रु परास्त हो जाते हैं.
श्रीराम मंदिर बनाने में क्या योगदान?
चूंकि, यह किला काफी पुराना है, इसी वजह से बाद में यह अलग-अलग गतिविधियों का स्थल भी बना. भारतीय पुरातात्विक सर्वेक्षण विभाग (एएसआई) द्वारा संरक्षित स्मारकों की श्रेणी में सूचीबद्ध इस किले के संस्थापक आचार्य जगद्गुरु रामानुजाचार्य स्वामी पुरुषोत्तमाचार्य थे. वे देवरहा बाबा के शिष्य थे. जब राम मंदिर आंदोलन चला तो शुरुआती दिनों में यही सुग्रीव किला विश्व हिन्दू परिषद की गतिविधियों का केंद्र स्थान बना.
हनुमानगढ़ी किले के बिलकुल पास
यह सुग्रीव किला हनुमानगढ़ी किले के बिलकुल पास है, लेकिन यह उसके मुकाबले कुछ ऊंचाई पर बना हुआ है. महाराजा विक्रमादित्य के समय में अयोध्या में श्रीराम जन्म भूमि परिसर के बेहद करीब स्थित इस पौराणिक स्थल का जीर्णोद्धार कराया गया था. इस मंदिर में आज भी भगवान श्रीराम माता सीता, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न की के साथ-साथ सुग्रीव की पूजा भी होती है. अब यह किला हिन्दू धर्म की शिक्षा का एक नामी केंद्र भी बन चुका है.
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दर्शन करने जाएं तो ध्यान में रखें ये चीजें
यदि अयोध्या गए और सुग्रीव किले को देखे बिना ही लौट आए तो बाद में पछताएंगे. इसलिए इस किले के दर्शन को भी अपनी अयोध्या यात्रा का हिस्सा बनाएं. यहां आप सुबह 5 बजे के बाद कभी भी जा सकते हैं, मगर दोपहर 12 बजे से लेकर 4 बजे तक को छोड़कर. शाम 4 बजे यह किला फिर से दर्शनों के लिए खुलता है और 8 बजे तक जाया जा सकता है.
रावण पर जीत में सुग्रीव की भूमिका
रामायण के मुताबिक, सुग्रीव किष्किंधा के वानर राजा बाली के छोटे भाई थे. बाली ने बलपूर्वक सुग्रीव की पत्नी को छीन लिया था. जब श्रीराम वनवास पर थे, और उनकी पत्नी सीता का अपहरण रावण ने कर लिया था, तब अपनी पत्नी की खोज में श्रीराम की मुलाकात सुग्रीव से हुई. बाली की शक्ति ऐसी थी कि उनके सामने लड़ने के लिए आने वाले की आधी शक्ति बाली में समा जाती थी और वह और बलवान हो जाता था. इसलिए उसके सामने आने से सब डरते थे. मगर, भगवान श्रीराम ने बाली को मारकर, सुग्रीव को राज्य दिलाया और उसके बाद सुग्रीव ने लंका तक भगवान श्रीराम का साथ दिया. वे परछाई की तरह श्रीराम के साथ रहे और अंत में रावण को मारकर सुग्रीव ने अपनी मित्रता का परिचय दिया.
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FIRST PUBLISHED : January 22, 2024, 09:33 IST