अयोध्या में थमा शौर्य, काला दिवस का शोर! कड़वाहट भूलकर आगे बढ़ी प्रभु की नगरी

सर्वेश श्रीवास्तव/अयोध्या : 6 दिसंबर 1992 का दिन भारत के इतिहास में कभी भुलाया नहीं जा सकता. इसी दिन अयोध्या में बाबरी विध्वंस हुआ था. तीन दशकों बाद धर्म नगरी अयोध्या में हिंदू-मुस्लिम सारे लोग कड़वाहट को भूल कर आगे बढ़ रहे है. विवादित ढांचे के विध्वंस का कल 31 वर्ष पूरा हो जाएगा. विवादित ढांचे के विध्वंस के लिए हजारों की संख्या में राम भक्तों ने कुर्बानी दी. आज राम भक्तों का स्वप्न साकार हो रहा है. 22 जनवरी को भगवान रामलला अपने जन्म स्थान पर बनाए गए भव्य मंदिर में विराजमान होंगे.

आपको बताते चलें 6 दिसंबर 1992 को अयोध्या में बाबरी विध्वंस हुआ था. उस दौरान मंदिर और मूर्तियों के शहर अयोध्या में कई कारसेवकों ने अपने प्राणों की आहुति दे दी थी. आज भव्य मंदिर में भगवान के विराजमान होने की बारी है लेकिन सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले 6 दिसंबर को हिंदू धर्म के लोग शौर्य दिवस तो मुस्लिम पक्ष के लोग काला दिवस मनाते थे. भगवान रामलला के पक्ष में फैसला आने के बाद मंदिर का निर्माण शुरू हुआ था. अब हिंदू पक्ष शौर्य दिवस नही मना रहा है और न ही मुस्लिम पक्ष काला दिवस मना रहा है. हिंदू मुस्लिम एकता की मिशाल कायम करने वाला भगवान राम का जन्म स्थान आज देश और दुनिया के लिए एक मिसाल बन गया है.

न शौर्य मनेगा और न काला दिवस
विश्व हिंदू परिषद के प्रांतीय मीडिया प्रभारी शरद शर्मा बताते हैं कि 6 दिसंबर हम लोगों के लिए महत्वपूर्ण दिन था और आज उसी स्थल पर प्रभु राम विराजमान होने जा रहे हैं. 22 जनवरी 2024 को प्राण प्रतिष्ठा होगी और लंबे कालखंड से देश यह प्रतीक्षा कर रहा था की प्रभु राम अपने महल में जल्द से जल्द विराजमान जब 22 दिसंबर को 10 करोड़ लोग जय श्री राम का जप करेंगे. रामचरितमानस का पाठ करेंगे तो हमें लगता है कि 6 दिसंबर उसी में समाहित हो जाएगा. इतना ही नहीं शरद शर्मा ने बताया कि पूर्व में ही ट्रस्ट के अध्यक्ष महंत नृत्य गोपाल दास ने यह अपील किया था कि अब कोई भी 6 दिसंबर को शौर्य दिवस नहीं मनाई जाएगी. अब प्रभु राम अपने आसन पर विराजमान होने जा रहे हैं कर सेवकों का स्वप्न साकार हो रहा है.

अतीत को भूल कर कर रहे नई शुरुआत
बाबरी मस्जिद के पूर्व पक्षकार रहे इकबाल अंसारी बताते हैं कि जब सुप्रीम कोर्ट ने राम जन्मभूमि के पक्ष में फैसला नहीं सुनाया था तो उसके पहले लोग 6 दिसंबर को हिंदू और मुसलमान समाज के लोग अपने-अपने तरीके से शौर्य दिवस और काला दिवस मनाते थे. लेकिन अब राम जन्मभूमि के पक्ष में सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाया तो हम लोग यही चाहते हैं कि अब न ही काला दिवस मनाया जाए और ना ही शौर्य दिवस मनाया जाए. सुप्रीम कोर्ट ने मंदिर के पक्ष में फैसला दिया हम कोर्ट का सम्मान करते हैं. इकबाल अंसारी बताते हैं कि अयोध्या में जो भी कुछ हो रहा है वह सब योगी आदित्यनाथ की देन है. अयोध्या में आज चारों तरफ विकास की गंगा बह रही है. चारों तरफ राममय वातावरण है. सभी धर्म संप्रदाय के लोग यहां रहते हैं आपसी भाईचारे के साथ.

32 साल तक भक्तों के लिए था बुरा समय
राम जन्मभूमि के मुख्य पुजारी आचार्य सत्येंद्र दास बताते हैं कि 6 दिसंबर 1992 का ऐतिहासिक घटना था और उस दौरान 28 वर्षों तक रामलला तीरपाल में थे. उस दौरान तमाम तरह की समस्या से झेलना पड़ता था. रिसीवर के माध्यम से रामलला की भोग आरती होती थी लेकिन आज वक्त बदल गया है. सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में मंदिर के पक्ष में फैसला सुना दिया है. इन 32 सालों में जिस तरह से रामलला रहे वह बहुत ही कष्टदायक था लेकिन अब समय आ गया है जब रामलला भव्य महल में विराजमान होंगे. सुप्रीम कोर्ट के फैसले से पहले 6 दिसंबर के दिन को हिंदू समाज के लोग शौर्य दिवस के रूप में मनाते थे तो मुस्लिम समाज के लोग काला दिवस के रूप में मनाया करते थे लेकिन अब वक्त बदल गया है. अब न शौर्य दिवस मनाया जाता है और न ही काला दिवस मनाया जाता है.

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